BY: Yoganand Shrivastva
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मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई विवादित टिप्पणी को लेकर दर्ज FIR को लेकर अब हाई कोर्ट ने सरकार पर सख्त ऐतराज जताया है। कोर्ट ने कहा है कि FIR में अभियुक्त की करतूतों का उल्लेख नहीं है, जिससे यह केस कमजोर पड़ सकता है और आसानी से रद्द हो सकता है। इस मुद्दे पर कोर्ट ने सरकार को FIR में आवश्यक सुधार करने का आदेश दिया है ताकि बिना किसी दबाव या हस्तक्षेप के मामले की न्यायपूर्ण जांच हो सके।
FIR में कमी पर हाई कोर्ट की कड़ी चेतावनी
- मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मंत्री विजय शाह के खिलाफ दर्ज FIR की कॉपी और ड्राफ्टिंग पर नजर डाली।
- कोर्ट ने पाया कि FIR में अभियुक्त के कथित कृत्यों का जिक्र नहीं है, जो जांच प्रक्रिया के लिए जरूरी होता है।
- न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस तरह की अधूरी FIR पर केस आसानी से चुनौती दी जा सकती है और रद्द हो सकता है।
- कोर्ट ने कहा कि सरकार का जवाब FIR के मामले में विश्वासघातपूर्ण लग रहा है और सुधार जरूरी है।
हाई कोर्ट का आदेश: FIR में सुधार और स्वतंत्र जांच
- अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि FIR को दोबारा सही ढंग से ड्राफ्ट किया जाए।
- FIR और जांच पूरी तरह से निष्पक्ष और बिना किसी दबाव के होनी चाहिए।
- मामले की सुनवाई वेकेशन के बाद ‘टॉप ऑफ़ द लिस्ट’ रखी जाएगी ताकि जल्द से जल्द न्याय मिल सके।
विवाद का संक्षिप्त परिचय
- वन मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित बयान दिया था, जिससे राजनीतिक और सामाजिक माहौल गरमाया।
- इस बयान के कारण हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर FIR दर्ज करने का आदेश दिया था।
- इस FIR को लेकर अब सरकार की तैयारी और ड्राफ्टिंग पर कोर्ट ने सवाल उठाए हैं।
FIR की सही ड्राफ्टिंग क्यों जरूरी है?
- FIR में अभियुक्त की करतूतों का सटीक विवरण होना आवश्यक है ताकि जांच सही दिशा में हो।
- अधूरी या गलत FIR से जांच प्रभावित होती है और न्यायिक प्रक्रिया कमजोर पड़ती है।
- कानून की प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए FIR की गुणवत्ता महत्वपूर्ण है।
न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी
मंत्री विजय शाह के विवादित बयान से जुड़े मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का रुख इस बात को दर्शाता है कि कानूनी प्रक्रिया में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। FIR की सही और पूर्ण ड्राफ्टिंग के बिना जांच और मुकदमा टिकाऊ नहीं होगा।
- सरकार को FIR में सुधार कर निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करनी होगी।
- मामले की अगली सुनवाई वेकेशन के बाद प्राथमिकता से होगी।