रिपोर्टर,सेवकराम चौबे
Kasrawad: नगर में स्थित शासन की अत्यंत महत्वपूर्ण और बेशकीमती सरकारी जमीन पर इन दिनों अतिक्रमण का मामला गंभीर रूप ले चुका है। अतिक्रमणकारियों ने नगर के प्रमुख क्षेत्रों में जमीन पर दुकान और मकान बनाना शुरू कर दिया है, जिससे यह खतरा उत्पन्न हो गया है कि जल्द ही पूरी जमीन कब्जे में चली जाएगी।
विशेष रूप से यह अतिक्रमण नगर के मुख्य मार्गों से सटे क्षेत्रों में देखा जा रहा है। खरगोन–इंदौर मार्ग, कसरावद नया बस स्टैंड क्षेत्र और नया नगर वार्ड नंबर 5 जैसी जगहें अतिक्रमण की चपेट में हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि अतिक्रमणकारियों ने इन क्षेत्रों में तेजी से निर्माण कार्य शुरू कर दिया है, जिससे नगर परिषद की योजनाओं और शासकीय भूमि के संरक्षण में बाधा उत्पन्न हो रही है।
नगर परिषद के पास नगर में शासकीय जमीन के अभाव के कारण कई विकास योजनाओं को लागू करना मुश्किल हो गया है। अतिक्रमण की वजह से नगर में दुकान कॉम्प्लेक्स और अन्य जनोपयोगी परियोजनाओं का निर्माण नहीं हो पा रहा है। नगर परिषद के अधिकारी इस बात की ओर संकेत कर रहे हैं कि यदि नगर में जमीन उपलब्ध नहीं हुई, तो आने वाले समय में कई योजनाओं को स्थगित करना पड़ सकता है।
भू माफिया इस स्थिति का पूरा फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने शासकीय जमीन को अवैध रूप से हड़पने के नए तरीके अपनाने शुरू कर दिए हैं। इस वजह से नगर में सरकारी भूमि का संरक्षण एक बड़ी चुनौती बन गया है। अतिक्रमण की इस गतिविधि ने स्थानीय प्रशासन के लिए चिंता के नए आयाम खोल दिए हैं।
कसरावद बस स्टैंड के पास स्थिति सबसे गंभीर है। यहाँ करोड़ों की कीमत वाली जमीन पर मकान और दुकानें बनाई जा रही हैं। इस क्षेत्र में अतिक्रमण के कारण शासन को जनहित में कराए जाने वाले विकास कार्यों के लिए जमीन नहीं मिल पा रही है। नगर की आबादी लगभग 18,000 है और इसके अंतर्गत 294 गांव आते हैं। बावजूद इसके नगर में बस स्टैंड सहित कई सरकारी योजनाओं के लिए आवश्यक जमीन अतिक्रमण की चपेट में है।
स्थानीय प्रशासन प्रयासरत है, लेकिन अतिक्रमण रोकना आसान नहीं है। प्रशासन को अक्सर जमीन खाली कराने के लिए लंबी और जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। अतिक्रमणकारियों और भू माफियाओं ने इस प्रक्रिया को भी चुनौती मान लिया है और वे लगातार नए-नए तरीके अपनाकर जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।
नगरवासियों की चिंता यह भी है कि यदि अतिक्रमण की रोकथाम नहीं हुई, तो नगर की विकास योजनाएँ प्रभावित होंगी। बस स्टैंड के आसपास निर्माण और विकास कार्यों के लिए पर्याप्त शासकीय जमीन नहीं होने से न केवल नगर के सौंदर्यीकरण पर असर पड़ेगा, बल्कि नागरिक सुविधाओं में भी कमी आएगी।
नगर परिषद के अधिकारियों ने कहा है कि जमीन की कमी के कारण कई योजनाओं को लागू नहीं किया जा सका है। अगर यह स्थिति जारी रही, तो नगर की भौगोलिक और सामाजिक संरचना पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय प्रशासन अतिक्रमण को रोकने के लिए लगातार कार्रवाई कर रहा है, लेकिन जमीन कब्जाने वाले लोग नियमों की परवाह नहीं कर रहे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या केवल बस स्टैंड या मुख्य मार्ग तक सीमित नहीं है। अन्य वार्डों और शहर के अलग-अलग हिस्सों में भी अतिक्रमण की घटनाएँ बढ़ रही हैं। यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो नगर की सरकारी जमीन पूरी तरह अवैध कब्जे में चली जाएगी।
इस स्थिति को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि प्रशासन अतिक्रमण रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करें। साथ ही, नगर परिषद को भी जमीन के संरक्षण और उपयोग के लिए दीर्घकालिक योजना तैयार करनी होगी। अन्यथा, नगर की सरकारी जमीन पर अतिक्रमण बढ़ता रहेगा और विकास कार्य प्रभावित होंगे।
कसरावद नगर में अतिक्रमण रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई न केवल नगर की जमीन की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि यह नगरवासियों की सुविधाओं और भविष्य की विकास योजनाओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।





