रिपोर्टर: राम यादव, रायसेन
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के ग्राम कालापाठा के 25 मासूम छात्र-छात्राएं हर दिन अपनी जान हथेली पर रखकर स्कूल जाते हैं। स्कूल तक पहुंचने का कोई पक्का और सुरक्षित रास्ता नहीं है। बारिश के दिनों में यह रास्ता और भी खतरनाक हो जाता है, जहां कीचड़, खुले ट्रांसफार्मर और बिना घेरे के गहरा कुआं बच्चों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है।
खतरनाक वैकल्पिक रास्ता: कीचड़, ट्रांसफार्मर और कुएं के बीच
- स्कूल जाने वाला मुख्य रास्ता एक स्थानीय व्यक्ति ने अतिक्रमित कर लिया है।
- इससे बच्चों को मजबूरी में 150 मीटर लंबी कीचड़ भरी पगडंडी से होकर गुजरना पड़ता है।
- यह रास्ता:
- खुले ट्रांसफार्मर के नीचे से गुजरता है
- बगल में गहरा कुआं है
- जमीन में करंट फैलने की आशंका बनी रहती है
- बारिश के मौसम में मिट्टी और कीचड़ से फिसलने का खतरा कई गुना बढ़ गया है।
करंट लगने की घटना ने बढ़ाई चिंता
हाल ही में गांव की एक महिला तम्मी बाई की बकरी ट्रांसफार्मर के नीचे से गुजरते वक्त करंट की चपेट में आ गई। सतर्कता दिखाते हुए तम्मी बाई ने शुक्रवार को बच्चों और शिक्षकों को समय रहते चेतावनी दी, जिससे बड़ा हादसा टल गया।
अगर चेतावनी नहीं दी जाती, तो किसी मासूम की जान जा सकती थी।
ग्रामीणों की मांगें: पक्की सड़क और सुरक्षा जरूरी
ग्रामीणों ने प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। उनकी मुख्य मांगें:
- स्कूल तक पक्की और सुरक्षित सड़क का निर्माण हो
- खुले कुएं के चारों ओर सुरक्षा दीवार बने
- बिजली ट्रांसफार्मर को हटाया जाए या बैरिकेडिंग की जाए
- मुख्य मार्ग से अतिक्रमण हटाया जाए
प्रशासन का जवाब: जांच के आदेश
एसडीएम पीसी शाक्य ने बताया:
“डीपी से करंट फैलने की जानकारी मिलने पर बिजली विभाग को निर्देशित किया गया है। नायब तहसीलदार महेंद्र सिंह राजपूत को जांच के लिए भेजा जाएगा। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी।”
25 साल से नहीं बनी सड़क: शिक्षक की व्यथा
शिक्षक शिबू लाल अहिरवार (1998 से पदस्थ):
“स्कूल की जमीन गांव के एक व्यक्ति ने दान दी थी, लेकिन आज तक न सड़क बनी, न सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम। बच्चे अब भी जान जोखिम में डालकर पढ़ने आते हैं।”
बीआरसी का बयान: जल्द होगा समाधान
बीआरसी महजबीं सिद्दीकी ने कहा:
“शिक्षक से जानकारी मिलने के बाद उन्हें एसडीएम को पत्र लिखने के निर्देश दिए गए हैं ताकि जल्द समाधान हो सके।”
कब तक अनसुनी रहेगी मासूमों की आवाज़?
हर दिन स्कूल जाने के लिए जान जोखिम में डालते ये मासूम सिर्फ शिक्षा ही नहीं, सरकारी सिस्टम की उदासीनता का पाठ भी पढ़ रहे हैं। जब तक प्रशासन ठोस कदम नहीं उठाता, यह रास्ता मौत का न्यौता बना रहेगा। अब समय है—सिर्फ आश्वासन नहीं, कार्रवाई की ज़रूरत है।