Report: Devendra Jaiswal
Indore: एरोड्रम थाना क्षेत्र में एक बड़ा साइबर फ्रॉड मामला सामने आया है, जहां ठगों ने खुद को जम्मू-कश्मीर पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी बताकर एक वृद्ध महिला को डिजिटल अरेस्ट में डाल दिया और उससे करीब 30 लाख रुपये ठग लिए। यह मामला शहर में अब तक की सबसे बड़ी साइबर ठगी में से एक माना जा रहा है। पुलिस ने घटना की शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कैसे शुरू हुआ पूरा मामला
एरोड्रम इलाके में रहने वाली महिला को एक दिन फोन आया। कॉल करने वाला खुद को जम्मू-कश्मीर पुलिस का एसपी बताने लगा। उसने कहा कि महिला का नाम एक आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल है। यह सुनकर महिला घबरा गई। ठग ने इसी भय का फायदा उठाते हुए उसे फोन पर ही “डिजिटल अरेस्ट” में ले लिया। उसने धमकी दी कि यदि महिला ने कॉल काटा या किसी को बताया तो उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
घंटों फोन पर रखकर करवाए ट्रांजैक्शन
ठगों ने महिला को कई घंटों तक फोन पर रोके रखा। इस दौरान उन्होंने उसकी निजी जानकारी, बैंक डीटेल्स और खातों की गतिविधियों के बारे में पूछताछ की। महिला डरती रही और ठगों के निर्देशों का पालन करती रही। अलग-अलग दिनों में ठगों ने उससे कई बार ऑनलाइन ट्रांसफर करवाए। लगभग 30 लाख रुपये विभिन्न खातों में भेज दिए गए।
ठगों ने पूरी बातचीत के दौरान महिला पर दबाव बनाए रखा, ताकि वह किसी बाहरी व्यक्ति से बात न कर सके। यही कारण था कि कई दिनों तक परिवार के सदस्यों को भी इस घटना की भनक नहीं लगी।
बेटी और दामाद पहुंचे तो खुला राज
घटना का खुलासा तब हुआ जब महिला की बेटी और दामाद अचानक घर पहुंचे। उन्होंने देखा कि महिला बेहद तनाव में है और बार-बार मोबाइल पर किसी से बात कर रही है। शक होने पर उन्होंने उससे पूछताछ की। पहले तो महिला डरी हुई थी और कुछ बताने से झिझक रही थी, लेकिन जब परिवार ने दबाव बनाया तो उसने पूरा मामला बताया।
परिवार ने तुरंत फोन अपने हाथ में लिया, लेकिन तब तक ठग कॉल डिस्कनेक्ट कर चुके थे। मोबाइल में बैंक की ट्रांजैक्शन डिटेल देखने पर उन्हें पता चला कि लाखों रुपये अलग-अलग खातों में भेज दिए गए हैं।
शिकायत दर्ज, साइबर सेल भी जांच में जुटी
घटना सामने आते ही पीड़िता और परिवार ने एरोड्रम थाना पुलिस को शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला साइबर फ्रॉड मानते हुए एफआईआर दर्ज की और ठगों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। साइबर सेल की टीम भी इस केस में सक्रिय हो गई है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ठगी के लिए उपयोग किए गए फोन नंबर और बैंक खाते देश के अलग-अलग राज्यों से जुड़े हो सकते हैं।
पुलिस का कहना है कि ठगों ने काफी योजनाबद्ध तरीके से इस वारदात को अंजाम दिया। पहले महिला को डराया, फिर उसे घंटों फोन पर रोके रखा और लगातार ट्रांजैक्शन करवाते रहे। यह तरीका “डिजिटल अरेस्ट” की नई तकनीक का एक उदाहरण है, जिसमें अपराधी लोगों को मानसिक रूप से बंधक बनाकर उनसे पैसे निकलवाते हैं।
लोगों को दी गई चेतावनी
पुलिस ने इस तरह की बढ़ती हुई ठगी के मामलों को देखते हुए नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। किसी भी अनजान नंबर से आने वाली कॉल पर भरोसा न करने, खुद को पुलिस या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताने वाले लोगों से सावधान रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना देने की अपील की गई है।





