भारत आज होने वाली अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की बैठक में पाकिस्तान को दिए जाने वाले बेलआउट पैकेज पर अपना रुख स्पष्ट करेगा। विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “हम आईएमएफ के सदस्यों के सामने अपना दृष्टिकोण रखेंगे। अंतिम निर्णय बोर्ड पर निर्भर है।”
हालांकि मिश्री ने विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान 1 अरब डॉलर की अगली किश्त की मांग कर रहा है। भारत का विरोध पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के कारण है, खासकर 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे।
भारत-पाकिस्तान तनाव और आर्थिक कार्रवाई
इस हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर दिया और सिंधु जल समझौता (1960) को निलंबित कर दिया, जिससे लंबे समय में पाकिस्तान के पानी की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। मिश्री ने दोहराया, “कैबिनेट सुरक्षा समिति के निर्णय के अनुसार, यह समझौता अभी निलंबित है।”
इसके अलावा, भारत वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) से पाकिस्तान को फिर से “ग्रे लिस्ट” में डालने की मांग कर रहा है, जिससे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता मिलने में कठिनाई होगी।
विश्व बैंक ने स्पष्ट किया अपनी भूमिका
सिंधु जल समझौते को लेकर विश्व बैंक की भूमिका पर चर्चा के बीच, विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने स्पष्ट किया, “हमारी भूमिका केवल एक सुविधाकर्ता की है। मीडिया में यह अटकलें कि विश्व बैंक हस्तक्षेप करेगा, पूरी तरह गलत हैं।”
यह समझौता, जिसमें सिंधु नदी प्रणाली का 80% पानी पाकिस्तान को और 20% भारत को मिलता है, अब निलंबित है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।
आगे की रणनीति
जैसे-जैसे आईएमएफ पाकिस्तान की बेलआउट मांग पर विचार कर रहा है, भारत का रुख साफ है—वह पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए जवाबदेह ठहराना चाहता है। आज की बैठक का परिणाम क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक संबंधों पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।