भारतीय रेलवे ने स्वदेशी तकनीक से विकसित देश की पहली हाइड्रोजन पावर्ड ट्रेन की सफल टेस्टिंग चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में की है। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जो भारतीय रेलवे को हरित ऊर्जा और नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन की दिशा में एक कदम आगे ले जाती है।
25 जुलाई को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर इसकी जानकारी साझा करते हुए बताया कि यह ट्रेन दुनिया की सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेनों में शामिल होगी।
First Hydrogen powered coach (Driving Power Car) successfully tested at ICF, Chennai.
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) July 25, 2025
India is developing 1,200 HP Hydrogen train. This will place India among the leaders in Hydrogen powered train technology. pic.twitter.com/2tDClkGBx0
तकनीकी खूबियां और शक्तिशाली प्रदर्शन
- 1200 हॉर्सपावर की क्षमता: यह ट्रेन 1200 HP इंजन से लैस है, जबकि जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन की हाइड्रोजन ट्रेनों में 500–600 HP क्षमता होती है।
- हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक: ट्रेन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रक्रिया से बिजली उत्पन्न करती है, जिससे केवल पानी और भाप उत्सर्जित होते हैं।
डीजल ट्रेनों से बेहतर, 60% कम शोर
यह ट्रेन पारंपरिक डीजल या कोयला इंजन वाली ट्रेनों की तुलना में:
- 60% कम शोर करती है
- यात्रियों को ज्यादा शांत और आरामदायक सफर का अनुभव देती है
- प्रदूषण रहित ऑपरेशन के कारण हरित ऊर्जा समाधान बनती है
खासतौर पर हेरिटेज और पहाड़ी मार्गों के लिए
यह हाइड्रोजन ट्रेन मुख्य रूप से निम्नलिखित हेरिटेज रूट्स पर चलाई जाएगी:
- कालका-शिमला रेलवे
- दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
- नीलगिरी माउंटेन रेलवे
- कांगड़ा घाटी रेलवे
लागत और भविष्य की योजना
- हर हाइड्रोजन ट्रेन की लागत लगभग ₹80 करोड़ होगी
- प्रत्येक रूट के लिए अतिरिक्त ₹70 करोड़ ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होंगे
- 2023-24 के बजट में इस परियोजना के लिए ₹2800 करोड़ का प्रावधान किया गया है
- योजना के तहत कुल 35 हाइड्रोजन ट्रेनों का निर्माण किया जाएगा
क्या इलेक्ट्रिक इंजन से बेहतर है?
पैरामीटर | हाइड्रोजन इंजन | इलेक्ट्रिक इंजन |
---|---|---|
ऊर्जा दक्षता | 30-60% | 70-95% |
शोर स्तर | कम | बेहद कम |
लागत | अधिक | तुलनात्मक रूप से कम |
पर्यावरणीय लाभ | शून्य कार्बन उत्सर्जन | शून्य कार्बन उत्सर्जन |
ट्रैक बदलाव की जरूरत | नहीं | इलेक्ट्रिफिकेशन आवश्यक |
हाइड्रोजन ट्रेनें उन रूट्स पर फायदेमंद होंगी जहां अभी तक ट्रैक इलेक्ट्रिफाइड नहीं हैं।
भारत की रेल भविष्य की ओर
हाइड्रोजन ट्रेनें न केवल ऊर्जा का स्वच्छ विकल्प हैं, बल्कि रेलवे को सस्टेनेबल ट्रांसपोर्टेशन की दिशा में तेजी से अग्रसर भी करती हैं। यह तकनीक खासकर हेरिटेज और दुर्गम क्षेत्रों में फायदेमंद साबित हो सकती है जहां इलेक्ट्रिफिकेशन संभव नहीं।
भविष्य में ऐसी तकनीकों से भारत नेट-जीरो एमिशन टारगेट को पाने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ेगा।