BY: Yoganand Shrivastva
एक ऐसा अभिनेता, जिसे शुरुआती दिनों में ‘फ्लॉप मास्टर जनरल’ कहा गया, लेकिन बाद में वही शख्स भारतीय सिनेमा के ‘महानायक’ के रूप में जाना जाने लगा। हम बात कर रहे हैं बंगाली फिल्मों के महान अभिनेता उत्तम कुमार की। उन्होंने न सिर्फ बंगाल, बल्कि पूरे भारत में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया। उन्होंने अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गज कलाकारों को भी प्रभावित किया।
कैसे बना ‘फ्लॉप मास्टर जनरल’ से ‘महानायक’ बनने का सफर?
कोलकाता से आने वाले अरुण कुमार चटर्जी ने अभिनय की दुनिया में कदम रखा, लेकिन शुरूआती वर्षों में लगातार असफल फिल्में मिलने के कारण आलोचकों ने उन्हें ‘फ्लॉप मास्टर जनरल’ तक कह दिया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने अभिनय कौशल को निखारते रहे।
साल 1952 में आई ‘बासु परिवार’ और फिर 1954 की ‘अग्नि परीक्षा’ उनकी करियर की टर्निंग पॉइंट फिल्में बनीं। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक हिट फिल्में दीं।
सुचित्रा सेन के साथ जोड़ी ने रचा इतिहास
उत्तम कुमार की ऑनस्क्रीन जोड़ी सुचित्रा सेन के साथ बेहद मशहूर हुई। दोनों ने मिलकर 29 हिट फिल्में दीं, जिनमें ‘हरानो सुर’, ‘सप्तपदी’ और ‘शिल्पी’ जैसी फिल्में शामिल हैं। दोनों की जोड़ी बंगाली सिनेमा की सबसे सफल जोड़ियों में से एक मानी जाती है।
सत्यजीत रे की ‘नायक’ ने बढ़ाया कद
1966 में निर्देशक सत्यजीत रे की फिल्म ‘नायक’ में उत्तम कुमार ने एक सुपरस्टार अभिनेता की भूमिका निभाई। यह फिल्म इतनी सराही गई कि इसके बाद उन्हें ‘महानायक’ की उपाधि मिली। आज भी बंगाल में उन्हें इस नाम से ही याद किया जाता है।
अमिताभ बच्चन ने की खुले दिल से तारीफ
एक वायरल वीडियो में अमिताभ बच्चन ने उत्तम कुमार को याद करते हुए कहा था,
“वो एक ऐसे कलाकार थे जिनकी उपस्थिति विराट होती थी। जब मुझसे उनकी मुलाकात हुई, तो उनकी कला और अभिनय को लेकर लगन देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ।”
अचानक निधन और अमर विरासत
23 जुलाई 1980 को फिल्म ‘ओगो बोधु शुंडोरी’ की शूटिंग के दौरान उत्तम कुमार को सीने में दर्द हुआ। उन्होंने खुद अस्पताल तक ड्राइव किया, लेकिन 24 जुलाई 1980 को महज 53 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
उनकी याद में कोलकाता में स्थित टॉलीगंज स्टूडियो को ‘उत्तम मंच’ और एक मेट्रो स्टेशन को ‘महानायक उत्तम कुमार मेट्रो स्टेशन’ नाम दिया गया।
उन्हें 1967 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था और 2009 में भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया।