रिपोर्टर – लोकेश्वर सिन्हा
खड़े रहकर लेनी पड़ रही शिक्षा
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल की स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है। यहां पढ़ाई अब कुर्सी-टेबल के इंतज़ार में उलझ कर रह गई है। स्कूल की कक्षाएं छात्रों से ओवरफ्लो हो चुकी हैं और बच्चों को खड़े रहकर या वेटिंग चेयर पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।
ओवर एडमिशन बना समस्या की जड़
स्कूल में एक कक्षा की अधिकतम सीट संख्या 50 है, लेकिन उसमें 55 से 60 छात्रों को ठूंसकर एडमिट किया गया है। परिणामस्वरूप दो बच्चों के लिए बनी बेंच पर तीन-तीन बच्चों को बैठाया जा रहा है, और कई बार जगह न होने पर बच्चों को खड़े-खड़े क्लास अटेंड करनी पड़ती है।
बिजली गई तो क्लासरूम बन जाता है ‘काला कमरा’
स्कूल भवन की हालत भी सवालों के घेरे में है। बिजली गुल होते ही क्लासरूम अंधेरे में डूब जाते हैं, क्योंकि पर्याप्त वेंटीलेशन नहीं है। खिड़कियां खोलने पर बाहर की गंदगी, बदबू और कीड़े-मकोड़े बच्चों की पढ़ाई में खलल डालते हैं।
चेयर की कमी, बच्चों को मजबूरी में ‘वेटिंग चेयर’ का सहारा
बेंच और टेबल की भारी कमी के कारण कई छात्र वेटिंग चेयर पर कॉपी हाथ में रखकर जैसे-तैसे लिख रहे हैं। यह स्थिति न सिर्फ शारीरिक कष्ट पहुंचा रही है बल्कि बच्चों के मानसिक विकास और एकाग्रता पर भी असर डाल रही है।
किताबों की किल्लत, केवल 50 सेट
शासन से मिलने वाली किताबें केवल 50 बच्चों के लिए ही उपलब्ध हैं, जबकि क्लास में 60 बच्चे हैं। शेष बच्चों को बिना किताबों के ही पढ़ाई करनी पड़ रही है, जिससे उनकी समझ और सीखने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
प्रिंसिपल ने भी मानी समस्या
स्कूल के प्राचार्य ने खुद स्वीकार किया है कि “जगह की भारी कमी” और “ओवर एडमिशन” के कारण समस्या उत्पन्न हुई है। उन्होंने बताया कि जब तक नए कमरे नहीं बनते, तब तक इस भीड़भाड़ से राहत मिलना मुश्किल है।
सवालों के घेरे में शिक्षा विभाग
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन और शिक्षा विभाग इन मासूम बच्चों की परेशानी पर ध्यान देंगे?
- क्या बच्चों की बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज किया जाएगा?
- क्या सीट और किताबों की कमी से ही पढ़ाई का भविष्य तय होगा?