BY: Yoganand Shrivastva
शामली, कांवड़ यात्रा के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश के शामली जिले में प्रशासन ने बड़ा निर्णय लेते हुए 10 जुलाई से 25 जुलाई तक मीट और नॉनवेज की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इस आदेश को लागू करने के लिए नगर पालिका परिषद की ओर से मांसाहारी भोजन बेचने वाले होटल और दुकानदारों को बाकायदा लिखित नोटिस थमाया गया है।
प्रशासन की सख्ती का मुख्य उद्देश्य यात्रा मार्ग पर शिवभक्तों की आस्था का सम्मान बनाए रखना है।
क्या है नोटिस में?
मीट विक्रेताओं को जारी नोटिस में साफ शब्दों में कहा गया है:
“10 जुलाई 2025 से 25 जुलाई 2025 तक किसी भी प्रकार की मीट की दुकान, अंडा ठेली, मीट ठेली या सड़क किनारे कोई भी मांसाहारी सामग्री नहीं बेची जाएगी। सभी दुकानदारों को अपनी दुकानें पूरी तरह बंद रखनी होंगी। यदि कोई व्यक्ति प्रतिबंध के दौरान मांसाहारी वस्तुएं बेचता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी और आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा।”
नगर पालिका ने चेतावनी दी है कि प्रतिबंध के उल्लंघन से होने वाली हानि की जिम्मेदारी स्वयं विक्रेताओं की होगी।
शांतिपूर्ण यात्रा के लिए 4 जिलों में विशेष सुरक्षा प्रबंध
राज्य सरकार ने कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए व्यापक स्तर पर सुरक्षा के इंतजाम किए हैं। यात्रा 11 जुलाई से 9 अगस्त तक चलेगी। प्रशासन की तैयारियों का फोकस चार मुख्य जिलों – मेरठ, बुलंदशहर, बागपत और हापुड़ पर है।
सुरक्षा इंतजाम इस प्रकार हैं:
- कुल अवरोधक (बैरिकेड्स): 119
- मेरठ: 25
- बुलंदशहर: 25
- बागपत: 51
- हापुड़: 18
- कांवड़ मार्ग का जोन व सेक्टर विभाजन:
- 57 जोन
- 155 सेक्टर
- पुलिस फोर्स तैनाती:
- 19 अपर पुलिस अधीक्षक
- 54 क्षेत्राधिकारी
- 265 निरीक्षक
- 1,823 उपनिरीक्षक
- 2,574 मुख्य आरक्षी
- 2,860 आरक्षी
- 1,166 महिला पुलिसकर्मी
- यातायात नियंत्रण के लिए:
- 12 निरीक्षक
- 117 उपनिरीक्षक
- 175 मुख्य आरक्षी
- 394 आरक्षी
- अतिरिक्त बल:
- पीएसी की 20 कंपनियां
- सीएपीएफ की 5 कंपनियां
कांवड़ यात्रा क्यों है इतनी संवेदनशील?
हर वर्ष सावन माह में लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल लाकर भगवान शिव के मंदिरों में अर्पित करते हैं। ये शिवभक्त, जिन्हें “कांवड़िये” कहा जाता है, अक्सर नंगे पांव, घंटों पैदल चलते हैं। उनके मार्ग में किसी भी प्रकार की धार्मिक असंवेदनशीलता, जैसे मीट की खुली बिक्री, से विवाद की आशंका रहती है।
इसी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने इस बार पूर्वानुमान के साथ कार्रवाई की है।
क्या कहते हैं प्रशासनिक अधिकारी?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया:
“हमारा प्रयास है कि कांवड़ यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो और सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे। इसी भावना से यह प्रतिबंध लगाया गया है।”
शहर में मिला-जुला असर
जहां एक ओर हिंदू संगठनों और शिवभक्तों ने प्रशासन के फैसले का स्वागत किया है, वहीं कुछ मीट कारोबारियों और होटल संचालकों ने इस निर्णय पर असंतोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि दो हफ्ते तक दुकान बंद रखने से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान होगा।
हालांकि, नगर पालिका परिषद ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश सिर्फ धार्मिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए है।