रिपोर्ट – सुमित कुमार मेहरा
Raisen news: मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार मंचों से दलित और आदिवासी समाज को सुरक्षा, सम्मान और हरसंभव सहयोग देने के दावे करती रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों पर सवाल खड़े कर रही है। रायसेन जिले की उदयपुरा विधानसभा अंतर्गत ग्राम पंचायत पचामा का मामला इसकी ताजा मिसाल बनकर सामने आया है, जहां एक आदिवासी सरपंच प्रतिनिधि पर दबंगों ने जानलेवा हमला किया।
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत पचामा की सरपंच श्रीमती रामशिया बाई आदिवासी के पति और सरपंच प्रतिनिधि मनोहर लाल आदिवासी पर पुरानी रंजिश के चलते हमला किया गया। आरोप है कि गांव के ही शिवनारायण रघुवंशी और दीपक रघुवंशी ने सफारी वाहन से मनोहर लाल को टक्कर मारकर कुचलने की कोशिश की। यह घटना इतनी गंभीर थी कि मनोहर लाल को गंभीर हालत में पहले स्थानीय स्तर पर उपचार दिया गया, बाद में उन्हें भोपाल रेफर किया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
घटना के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करते हुए आरोपियों की गाड़ी जब्त कर ली और दोनों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस का कहना है कि मामले की गहन जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आदिवासी समाज के लोगों का जनप्रतिनिधि बनना दबंगों को स्वीकार नहीं है। गांवों में आज भी आदिवासी समाज भय और दबाव में जीने को मजबूर है। सरकार के बड़े-बड़े वादों के बावजूद जब निर्वाचित सरपंच प्रतिनिधि ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम आदिवासी की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन और सरकार इस मामले में कितना कड़ा संदेश देती है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।





