रिपोर्ट: बॉबी अली भगवाँ
Chhatarpur: जिले की महाराजपुर तहसील अंतर्गत ग्राम उर्दमऊ स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय एक बार फिर गंभीर लापरवाहियों और अनियमितताओं को लेकर चर्चा में आ गया है। विद्यालय की कार्यप्रणाली पर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं, लेकिन हाल ही में सामने आए एक वीडियो ने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है। वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद ग्रामीणों और अभिभावकों में भारी नाराजगी देखी जा रही है।
वायरल वीडियो में विद्यालय के प्रधानाध्यापक नारायणदास सोनी ड्यूटी के समय टेबल पर जूते रखकर सोते हुए साफ नजर आ रहे हैं। यह दृश्य न केवल शिक्षक की जिम्मेदारी पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की कार्यसंस्कृति को भी कटघरे में खड़ा करता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि विद्यालय में लंबे समय से अनुशासन और निगरानी का अभाव बना हुआ है।
ग्रामीणों और अभिभावकों के आरोप यहीं तक सीमित नहीं हैं। उनका कहना है कि विद्यालय में संचालित मध्यान्ह भोजन योजना में भी लगातार अनियमितताएं हो रही हैं। साप्ताहिक मेन्यू का पालन नहीं किया जाता और बच्चों को अक्सर घटिया व पोषणहीन भोजन परोसा जाता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका बनी रहती है। कई अभिभावकों का कहना है कि बच्चे भोजन की गुणवत्ता को लेकर घर आकर शिकायत करते हैं, लेकिन उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जाता।
सबसे गंभीर आरोप यह है कि विद्यालय में छोटे-छोटे बच्चों से भोजन के बर्तन धुलवाए जाते हैं। ग्रामीणों के अनुसार यह न केवल बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि बाल श्रम की श्रेणी में भी आता है। विद्यालय प्रबंधन द्वारा इस प्रकार का व्यवहार बच्चों की गरिमा और सुरक्षा के प्रति घोर उदासीनता को दर्शाता है। अभिभावकों का कहना है कि पढ़ाई के समय बच्चों से इस तरह के काम कराना शिक्षा के उद्देश्य के पूरी तरह खिलाफ है।
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों के हाथों में है, जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। इसी कारण बार-बार शिकायत करने के बावजूद न तो संबंधित समूह पर कार्रवाई होती है और न ही जिम्मेदार शिक्षकों पर कोई ठोस कदम उठाया जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही और अनदेखी के कारण हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।
इस पूरे मामले को लेकर जब जिला शिक्षा अधिकारी अरुण शंकर पांडेय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रकरण को उनके संज्ञान में लाया गया है और इसकी जांच कर आवश्यक विभागीय कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे आश्वासन पहले भी दिए जा चुके हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अब तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है।
गांव में इस मुद्दे को लेकर लगातार चर्चा हो रही है। लोगों का कहना है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले विद्यालयों में यदि इस तरह की लापरवाही और अनियमितताएं चलती रहीं, तो बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होंगे।
अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग पर टिकी हैं कि वायरल वीडियो और ग्रामीणों की शिकायतों के बाद कितनी शीघ्र और प्रभावी कार्रवाई की जाती है। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि बच्चों के भविष्य के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन का रास्ता भी अपना सकते हैं।





