Reporter: Sunil Kumar Thakur, Edit By: Mohit Jain
बलरामपुर जिले में प्रतापपुर की विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के जाति प्रमाणपत्र की जांच को लेकर विवाद एक बार फिर तेज हो गया है। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद छानबीन समिति ने 27 नवंबर को सभी संबंधित पक्षों को जांच के लिए बुलाया था। शिकायतकर्ता, सत्यापन पक्ष तथा आदिवासी समाज के प्रतिनिधि समय पर समिति के सामने पहुंचे। बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग भी मौजूद थे।
सुनवाई टली, आदिवासी समाज में नाराजगी बढ़ी

बैठक के दौरान विधायक शकुंतला पोर्ते स्वयं उपस्थित नहीं हुईं, उनके अधिवक्ता ही समिति के सामने पेश हुए। समिति ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए सुनवाई 11 दिसंबर तक आगे बढ़ा दी। इसी निर्णय से आदिवासी समाज भड़क गया और सभी प्रतिनिधि सीधे बलरामपुर कलेक्टर कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए।
करीब छह घंटे तक अधिकारी धरना खत्म करवाने की कोशिश करते रहे, लेकिन समाज अपनी मांग पर अड़ा रहा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक प्रशासन यह लिखित रूप में आश्वासन नहीं देगा कि 11 दिसंबर को ही जांच की अंतिम सुनवाई होगी, तब तक धरना समाप्त नहीं होगा।

प्रशासन का लिखित आश्वासन, तब खत्म हुआ धरना
आखिरकार देर रात जिला प्रशासन और जांच समिति ने लिखित में भरोसा दिया कि 11 दिसंबर को विधि अनुसार पूरी सुनवाई की जाएगी और जांच लगातार जारी रहेगी। आश्वासन मिलने के बाद ही आदिवासी समाज ने अपना धरना समाप्त किया।
समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि जाति निर्धारण पिता और दादा की पहचान के आधार पर होता है, पति के आधार पर नहीं। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 11 दिसंबर को कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन और भी कड़ा किया जाएगा।
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11 दिसंबर पर टिकी सभी की निगाहें
अब पूरा मामला 11 दिसंबर की सुनवाई पर निर्भर करता है। जिला प्रशासन, छानबीन समिति और विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते-तीनों पक्षों का अगला कदम क्या होगा, यह तारीख तय करेगी कि यह जाति विवाद किस दिशा में आगे बढ़ेगा।





