BY: Yoganand Shrivastva
भारत की सैन्य ताकत को मिलेगा नया आयाम
भारत की रक्षा क्षमताओं को और अधिक मजबूत करने के लिए सरकार ने एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीद को मंजूरी दे दी है। इस सौदे की कुल लागत लगभग 7000 करोड़ रुपये है। ATAGS पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर विकसित 155 मिमी की आधुनिक आर्टिलरी गन है, जो भारतीय सेना को अभूतपूर्व मारक क्षमता प्रदान करेगी।
ATAGS की दमदार विशेषताएं
ATAGS 155 मिमी की एक शक्तिशाली आर्टिलरी गन है, जिसमें 52-कैलिबर की लंबी बैरल होती है। यह तोप लगभग 48 किलोमीटर की दूरी तक सटीक निशाना साधने में सक्षम है। इसकी लंबी रेंज और उन्नत तकनीक इसे दुश्मनों पर भारी बढ़त दिलाती है।
इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
✔ 48 किलोमीटर तक फायरिंग रेंज
✔ ऑटोमैटिक टारगेटिंग सिस्टम
✔ कम क्रू थकान के साथ तेज तैनाती क्षमता
✔ ज्यादा विस्फोटक पेलोड डिलीवरी क्षमता
भारतीय सेना के लिए बड़ा बदलाव
ATAGS की तैनाती के साथ भारतीय सेना को पुरानी 105 मिमी और 130 मिमी तोपों से छुटकारा मिलेगा, जिससे सैन्य तैयारियों में महत्वपूर्ण सुधार होगा। यह आधुनिक तोपखाने प्रणाली खासतौर पर पश्चिमी (पाकिस्तान) और उत्तरी (चीन) सीमाओं पर भारत की स्थिति को और अधिक मजबूत बनाएगी।
स्वदेशी निर्माण और ‘मेक इन इंडिया’ पहल
ATAGS का निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय निजी कंपनियों के सहयोग से किया गया है। यह तोप 65% से अधिक स्वदेशी घटकों के साथ विकसित की गई है, जिसमें बैरल, मज़ल ब्रेक, ब्रीच मैकेनिज्म, फायरिंग और रिकॉइल सिस्टम जैसे महत्वपूर्ण उपकरण शामिल हैं।
यह कदम न केवल भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि विदेशी आयात पर निर्भरता भी कम करेगा।
रणनीतिक और सामरिक लाभ
ATAGS की तैनाती से भारत को निम्नलिखित महत्वपूर्ण फायदे मिलेंगे:
🔹 आधुनिक आर्टिलरी सिस्टम से दुश्मनों पर बढ़त
🔹 सीमा पर ऑपरेशनल तैयारी में वृद्धि
🔹 भारतीय सैन्य रणनीति में सुधार
🔹 स्वदेशी मेंटेनेंस और स्पेयर पार्ट्स की आसान उपलब्धता
भारत की सैन्य शक्ति में आत्मनिर्भरता
ATAGS की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक पर आधारित है, जिससे इसके रखरखाव और लॉन्ग-टर्म सस्टेनेबिलिटी में कोई परेशानी नहीं होगी। यह भारतीय सेना को मजबूत बनाने के साथ-साथ विदेशी तकनीक पर निर्भरता भी खत्म करेगी।
ATAGS का भारतीय सेना में शामिल होना देश की सुरक्षा और सैन्य रणनीति के लिए एक बड़ा गेमचेंजर साबित होगा। यह तोप दुश्मनों को सीमा पार किए बिना ही मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम होगी। इसकी उन्नत तकनीक और जबरदस्त फायरिंग क्षमता भारत को वैश्विक रक्षा मानचित्र पर और अधिक सशक्त बनाएगी। भारत का यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
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