ट्रंप और सऊदी के बीच ऐतिहासिक सौदा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच एक बड़ा रक्षा समझौता हुआ है। यह डील 142 अरब डॉलर (करीब 11.5 लाख करोड़ रुपये) की है, जो अमेरिका और सऊदी के बीच अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा माना जा रहा है। इसके अलावा, सऊदी अरब अमेरिका में कुल 600 अरब डॉलर का निवेश करने जा रहा है, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा होगा।
क्या है इस डील का महत्व?
- यह सौदा सिर्फ हथियारों की खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ऊर्जा, खनन और अन्य रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।
- सऊदी अरब अमेरिकी कंपनियों को बड़े ठेके देगा, जिससे अमेरिका में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
- इस समझौते से अमेरिका और सऊदी के बीच सुरक्षा संबंध और मजबूत होंगे, खासकर मध्य पूर्व में चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए।
ट्रंप का सऊदी दौरा और राजनीतिक संदेश
ट्रंप ने इस यात्रा की शुरुआत सऊदी अरब से की, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। उन्होंने क्राउन प्रिंस को अपना “दोस्त” बताया और कहा कि दोनों देशों के संबंध पहले से कहीं बेहतर हैं।
हालांकि, इस दौरे पर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं:
- इजरायल को नजरअंदाज क्यों? ट्रंप इस बार इजरायल नहीं गए, जिससे यह सवाल उठा कि क्या अमेरिका की प्राथमिकताएं बदल रही हैं?
- क्या यह सिर्फ आर्थिक सौदा है? अमेरिका ने हाल ही में UAE को भी 1.4 बिलियन डॉलर के हथियार पैकेज की मंजूरी दी है, जिससे साफ है कि मध्य पूर्व में अमेरिकी हित बढ़ रहे हैं।
एलन मस्क का रोल और टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप
इस यात्रा में टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क भी शामिल थे। इससे संकेत मिलता है कि अमरिका और सऊदी के बीच अब सिर्फ तेल और हथियार नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में भी साझेदारी बढ़ेगी।
निष्कर्ष: क्या यह डील जियोपॉलिटिकल गेम चेंजर होगी?
यह सौदा सिर्फ एक आर्थिक समझौता नहीं, बल्कि अमेरिका की मध्य पूर्व में बढ़ती रणनीतिक दिलचस्पी को दर्शाता है। चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव के बीच, अमेरिका अपने पारंपरिक सहयोगियों को मजबूत कर रहा है। अगर यह डील सफल रही, तो भविष्य में मध्य पूर्व की ताकत का संतुलन अमेरिका के पक्ष में हो सकता है।