BY: Yoganand Shrivastva
अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे की जांच कर रहे विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में सामने आया है कि हादसे के वक्त विमान का लैंडिंग गियर लीवर ‘DOWN’ पोजिशन में था। अब यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इस स्थिति का क्या मतलब होता है और क्या यह दुर्घटना का कारण बन सकता है? आइए, विस्तार से समझते हैं।
क्या होता है लैंडिंग गियर लीवर?
किसी भी एयरक्राफ्ट का लैंडिंग गियर उसके टेकऑफ, लैंडिंग और ज़मीन पर चलने (taxiing) के दौरान उसे सपोर्ट देने वाला बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसमें पहिए, स्ट्रट्स और हाइड्रोलिक सपोर्ट सिस्टम शामिल होते हैं। इसे विमान के नीचे से अंदर और बाहर किया जा सकता है — जिसे संचालित करने के लिए पायलट कॉकपिट में लैंडिंग गियर लीवर का उपयोग करता है।
‘DOWN’ पोजिशन का क्या होता है मतलब?
जब लैंडिंग गियर लीवर ‘DOWN’ होता है, इसका मतलब होता है कि पायलट ने गियर को बाहर निकालने का निर्देश दिया है। यानी कि विमान के पहिए ज़मीन पर उतरने या दौड़ने की स्थिति में तैयार हैं। इस पोजिशन में गियर पूरी तरह से लॉक हो जाता है और विमान टेकऑफ या लैंडिंग के लिए ज़मीन के संपर्क में आने के लिए तैयार होता है।
किन परिस्थितियों में गियर ‘DOWN’ रहता है?
- टेकऑफ के समय:
जब विमान रनवे पर होता है और टेकऑफ के लिए दौड़ रहा होता है, तब लैंडिंग गियर डाउन पोजिशन में होता है। जैसे ही विमान हवा में उठता है और स्थिर ऊंचाई की ओर बढ़ता है, पायलट गियर को ऊपर (UP) कर देता है। - लैंडिंग से पहले:
जब विमान लैंड करने वाला होता है, तो 5 से 10 मिनट पहले गियर को दोबारा नीचे किया जाता है ताकि विमान ज़मीन पर सुरक्षित उतर सके।
क्या डाउन पोजिशन हादसे की वजह हो सकती है?
सामान्य तौर पर टेकऑफ के तुरंत बाद पायलट को लैंडिंग गियर को ‘UP’ करना होता है। अगर गियर नीचे ही रह जाए:
- तो एयर ड्रैग (वायु अवरोध) बढ़ जाता है, जिससे विमान की गति धीमी हो सकती है।
- फ्यूल की खपत बढ़ जाती है।
- और विमान का संतुलन बिगड़ सकता है।
इस तरह की स्थिति सामान्यतः पायलट की गलती, तकनीकी खराबी, या किसी संवेदी तंत्र (sensor) की विफलता के कारण हो सकती है। यदि गियर लैंडिंग के बाद वापस अंदर नहीं गया या टेकऑफ के बाद ‘UP’ नहीं किया गया, तो वह संभावित खतरे का संकेत हो सकता है।
हादसे से जुड़ी अहम जानकारियां
- तारीख: 12 जून 2025
- विमान: एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 (बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर)
- स्थान: अहमदाबाद
- मृत्यु: 260 यात्रियों की मौत
- बचाव: सिर्फ एक यात्री जीवित बचा
- पायलट: कैप्टन सुमीत सभरवाल (15,600 घंटे उड़ान अनुभव) और प्रथम अधिकारी क्लाइव कुंदर (3,400 घंटे का अनुभव)
जांच रिपोर्ट में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) से मिली जानकारी के अनुसार, टेकऑफ के दौरान दोनों इंजनों के फ्यूल कटऑफ स्विच अचानक ‘RUN’ से ‘CUT-OFF’ में चले गए, जिसके ठीक बाद पायलटों के बीच एक हैरान कर देने वाली बातचीत रिकॉर्ड हुई।
पायलट 1: “तुमने फ्यूल क्यों बंद कर दिया?”
पायलट 2: “मैंने नहीं किया!”
यह स्थिति कितनी गंभीर?
इस तरह की स्थिति में, जब गियर ‘DOWN’ है और इंजन बंद हो जाएं, विमान के पास:
- विकल्प सीमित होते हैं,
- ग्लाइडिंग के ज़रिए इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ती है (जो मुश्किल होती है),
- और अगर सही वक्त पर प्रतिक्रिया न दी जाए, तो विमान क्रैश हो सकता है।
AAIB की रिपोर्ट में जो बात सामने आई है — कि टेकऑफ के दौरान लैंडिंग गियर DOWN था — वह कोई असामान्य बात नहीं है। लेकिन अगर यह स्थिति लम्बे समय तक बनी रही, यानी टेकऑफ के बाद भी गियर ऊपर नहीं गया, तो यह या तो पायलट की लापरवाही, या तकनीकी फेल्योर हो सकता है, जिसकी वजह से ईंधन की खपत और नियंत्रण में समस्या आई होगी।
हादसे की जांच अभी भी जारी है और पूरी रिपोर्ट सामने आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि गियर लीवर की स्थिति इस दुर्घटना में कितनी निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
जांच का अगला चरण यह तय करेगा कि:
- क्या पायलटों ने समय पर गियर को ऊपर किया या नहीं?
- कोई तकनीकी खराबी तो नहीं हुई?
- और क्या किसी मानवीय भूल ने इस बड़ी त्रासदी को जन्म दिया?
ये सवाल आने वाले हफ्तों में देश की सबसे बड़ी विमान दुर्घटनाओं में से एक की सच्चाई से पर्दा उठाएंगे।