आज 26 जुलाई को भारत पूरे गर्व और सम्मान के साथ कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह वह दिन है जब भारतीय सेना ने साल 1999 में ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक पूरा किया था और दुश्मनों को करगिल से खदेड़ दिया था।
देशभर में आज शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मुख्य कार्यक्रम लद्दाख के द्रास स्थित कारगिल वॉर मेमोरियल पर होगा।
कार्यक्रम की रूपरेखा: श्रद्धांजलि का आयोजन
कारगिल वॉर मेमोरियल में आज सुबह से ही कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है।
- सुबह 8:00 बजे – रीथ लेइंग सेरेमनी
- सुबह 9:15 बजे – मुख्य अतिथि का आगमन
- सुबह 9:30 बजे – गौरव गाथा का वाचन
- सुबह 10:15 बजे – सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी का संबोधन
इस कार्यक्रम में सेना के जवान, पूर्व सैनिक, शहीदों के परिवार और आम नागरिक बड़ी संख्या में हिस्सा ले रहे हैं।
1999 की विजय गाथा: जब दुश्मन को दिखाया उसका स्थान
कारगिल युद्ध मई से जुलाई 1999 तक चला था। इस संघर्ष में भारत को टोलोलिंग, टाइगर हिल जैसी ऊँची चोटियों पर दुश्मनों से लड़ना पड़ा।
- पाकिस्तानी घुसपैठियों ने ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था
- भारतीय सैनिकों को बर्फीली, दुर्गम चोटियों पर चढ़ाई करते हुए हमला करना पड़ा
- मुकाबला गोलियों और तोपों की बारिश के बीच हुआ
- अंततः भारतीय सेना ने वीरता और रणनीति से दुश्मनों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया
वीरता की मिसाल: जब सैनिकों ने जान की बाज़ी लगाई
कारगिल युद्ध केवल एक सैन्य विजय नहीं, बल्कि बलिदान और पराक्रम की अमर कहानी है।
भारतीय जवानों ने जान की परवाह किए बिना ऊंची पहाड़ियों पर डटे दुश्मनों से लड़ाई लड़ी। वे जानते थे कि हर कदम पर मौत है, लेकिन देश के सम्मान के लिए वे अडिग रहे।
अमर शहीदों को श्रद्धांजलि: जिनका बलिदान कभी न भूलेगा भारत
इस युद्ध में देश ने कई बहादुर सपूतों को खोया, जिन्होंने इतिहास रच दिया:
- कैप्टन विक्रम बत्रा – “ये दिल मांगे मोर” कहने वाले वीर योद्धा
- लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे – वीर चक्र से सम्मानित
- राइफलमैन संजय कुमार – शौर्य का प्रतीक
- ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव – परमवीर चक्र विजेता
इन शहीदों की शहादत हमें हमेशा याद दिलाती है कि आजादी और सुरक्षा की कीमत कितनी बड़ी होती है।
कारगिल दिवस केवल एक तारीख नहीं, जज़्बे का प्रतीक है
कारगिल विजय दिवस हमें हमारी सेना के अदम्य साहस, बलिदान और देशभक्ति की याद दिलाता है। यह दिन हर भारतीय को प्रेरित करता है कि जब भी देश पर संकट आए, हम एकजुट होकर उसका सामना करें।