फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ एक बार फिर सुर्खियों में है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की समीक्षा समिति ने फिल्म को 6 अहम बदलावों के बाद सशर्त रिलीज की मंजूरी दे दी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार तक फिल्म की थिएटर रिलीज पर रोक लगा दी है और याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों पर सुनवाई तय की है।
फिल्म में किए गए 6 बड़े बदलाव
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने फिल्म में निम्नलिखित 6 संशोधनों की सिफारिश की, जिन्हें निर्माता ने स्वीकार कर लिया है:
- डिस्क्लेमर में बदलाव
- मौजूदा डिस्क्लेमर को नए अनुशंसित डिस्क्लेमर से बदला जाएगा।
- इसमें एक वॉइस-ओवर भी जोड़ा जाएगा।
- क्रेडिट फ्रेम में संशोधन
- उन फ्रेमों को हटाया जाएगा जिनमें कई व्यक्तियों को धन्यवाद दिया गया है।
- AI जनित सीन में बदलाव
- सऊदी अरब स्टाइल की पगड़ी को दिखाने वाले AI जनित दृश्य में संशोधन किया जाएगा।
- ‘नूतन शर्मा’ का नाम हटेगा
- फिल्म में जहां-जहां नूतन शर्मा का नाम इस्तेमाल हुआ है, उसे बदला जाएगा।
- पोस्टर सहित सभी प्रचार सामग्री में भी नाम बदला जाएगा।
- विवादित डायलॉग हटाया जाएगा
- “मैंने तो वही कहा है जो उनके धर्म ग्रंथों में लिखा है” वाला डायलॉग फिल्म से हटाया जाएगा।
- अन्य विवादित डायलॉग भी हटेंगे
- जैसे:
- “हाफिज: बालूची कभी वफादार नहीं होता।”
- “मकबूल: बालूची की…”
- “अरे क्या बालूची, क्या अफगानी, क्या हिंदुस्तानी, क्या पाकिस्तानी।”
- जैसे:
फिलहाल थिएटर रिलीज पर रोक
हालांकि मंत्रालय ने फिल्म को मंजूरी दे दी है, सुप्रीम कोर्ट ने थिएटर में रिलीज पर अस्थायी रोक लगा दी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से समिति के आदेश पर आपत्तियां दाखिल करने को कहा है, और अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि समिति ने याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों को सुनने के बाद ही रिलीज की अनुमति दी है, लेकिन अंतिम फैसला कोर्ट के निर्णय के बाद ही होगा।
किस पर आधारित है ‘उदयपुर फाइल्स’?
यह फिल्म जून 2022 में राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल तेली की नृशंस हत्या पर आधारित है।
- आरोपियों मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने दावा किया कि हत्या पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में की गई सोशल मीडिया पोस्ट के बदले में की गई थी।
- यह मामला NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को सौंपा गया था और अब जयपुर की विशेष NIA अदालत में सुनवाई चल रही है।
‘उदयपुर फाइल्स’ जैसी संवेदनशील फिल्म पर मंत्रालय की सख्ती और सुप्रीम कोर्ट की सतर्कता इस बात का संकेत है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक सौहार्द के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है। अब सभी की निगाहें गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं।