BY: Yoganand Shrivastva
इंदौर से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां महज 7 साल के एक नाबालिग बच्चे को 18 साल का बताकर करोड़ों की जमीन के लीज पर नामांतरण करा दिया गया। इस जमीन पर खनन पट्टा भी जारी किया गया और खनिज विभाग के अधिकारी इस पूरे फर्जीवाड़े में शामिल पाए जा रहे हैं। जैसे ही प्रशासन को धोखाधड़ी की भनक लगी, पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी गई है।
फर्जी दस्तावेज़ों से नाबालिग को बनाया गया बालिग!
सूत्रों की मानें तो 7 साल के एक बच्चे के फर्जी दस्तावेज़ बनाकर उसकी उम्र 18 साल दिखा दी गई। इसके बाद खनिज विभाग की मिलीभगत से उस नाबालिग के नाम करोड़ों की जमीन लीज पर कर दी गई। जमीन की वैधता, खनन अनुमति और दस्तावेजों की वैधता किसी भी स्तर पर जांची नहीं गई, जो विभाग की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा?
इस पूरे घोटाले की पोल उस वक्त खुली जब विवादित जमीन से सटी एक अन्य ज़मीन को बद्रीलाल नाम के व्यक्ति को खनन कार्य के लिए लीज पर दिया गया। लेकिन जब खनन कार्य शुरू हुआ तो पता चला कि बद्रीलाल के लीज क्षेत्र में पहले से दीपक वर्मा नामक व्यक्ति की लीज आती है।
इस विवाद के चलते दीपक वर्मा ने 5 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट, इंदौर में याचिका दायर की। कोर्ट के आदेश पर अपर कलेक्टर द्वारा जांच की गई और शमा खान नामक व्यक्ति को खनन क्षेत्र से बाहर कर दिया गया। साथ ही विभाग को वसूली के आदेश भी दिए गए।
हाई कोर्ट में रिट पिटीशन और नए खुलासे
शमा खान ने इस आदेश के खिलाफ पुनः हाई कोर्ट में रिट पिटीशन दायर की। लेकिन कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक बड़ा खुलासा हुआ कि:
- 18 फरवरी 2017 को दीपक वर्मा और शमा खान के बीच हुए एग्रीमेंट में भारी अनियमितताएं थीं।
- शमा खान को जो लीज ट्रांसफर हुई, वह पूरी तरह अवैध थी क्योंकि इसमें खनिज विभाग से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी।
- शमा खान ने खुद दीपक वर्मा के नाम से आवेदन किया और खुद को उसका “आम मुख्तियार” यानी पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर बताते हुए लीज अपने नाम करवा ली।
कोर्ट ने इस लीज को पूरी तरह “विधि विरुद्ध” माना और स्पष्ट कर दिया कि यह प्रक्रिया गैरकानूनी थी।
प्रशासन ने शुरू की कड़ी कार्रवाई
प्रशासन अब इस पूरे फर्जीवाड़े की परत-दर-परत जांच कर रहा है। खनिज विभाग के जिन अधिकारियों ने दस्तावेजों की जांच किए बिना मंजूरी दी, उनकी भूमिका की जांच शुरू हो चुकी है। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि क्या और कितने अन्य मामलों में इसी तरह की धोखाधड़ी की गई है।
प्रशासन का कहना है कि जल्द ही एफआईआर दर्ज की जाएगी और दोषियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।
बड़ा सवाल: नाबालिग के नाम जमीन कैसे?
इस घटना ने इंदौर के खनिज विभाग और प्रशासनिक प्रणाली की पोल खोल दी है। यह सवाल अब हर ओर उठ रहा है कि जब आधार, जन्म प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेज जरूरी होते हैं, तो 7 साल के बच्चे को 18 साल का दिखाकर इतनी बड़ी जमीन कैसे दी गई?
यह मामला सिर्फ ज़मीन कब्जे का नहीं, बल्कि प्रशासनिक और विभागीय भ्रष्टाचार का गहरा उदाहरण बन चुका है। आने वाले दिनों में इस मामले में कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।