BY: Yognand Shrivastva
इंदौर | उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण रैकेट में गिरफ्तार हुए छांगुर बाबा पर भाजपा विधायक उषा ठाकुर ने सख्त टिप्पणी करते हुए कठोर सजा की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधियों के हाथ-पैर ही नहीं, बल्कि प्रजनांग भी काट देने चाहिए, ताकि भविष्य में कोई इस तरह की हरकत करने की हिम्मत न करे।
“ऐसे नर-पिशाच बेटियों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं”
महू से विधायक उषा ठाकुर ने गुरुवार को कलेक्टर कार्यालय में मीडिया से बातचीत में कहा,
“जब तक ऐसे अपराधियों को उदाहरण स्वरूप सजा नहीं मिलेगी, तब तक समाज में बेटियों की सुरक्षा खतरे में रहेगी। ये लोग आस्था और सेवा के नाम पर मासूमों की ज़िंदगी से खेल रहे हैं।”
“शरीयत मानते हैं, तो सजा भी वैसी ही हो”
छांगुर बाबा के मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए ठाकुर ने कहा कि यदि ये लोग भारतीय संविधान की जगह शरीयत का पालन करते हैं,
“तो फिर इन्हें सजा भी शरीयत की ही तरह कठोर मिलनी चाहिए। ताकि ये समाज को जहरीला बनाने से पहले ही थम जाएं।”
उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों की पहचान हर मोहल्ले और विधानसभा क्षेत्र में की जानी चाहिए और उनके खिलाफ त्वरित और कठोर कार्रवाई जरूरी है।
क्या है छांगुर बाबा का मामला?
उत्तर प्रदेश ATS ने 5 जुलाई को छांगुर बाबा, उनकी सहयोगी नीतू उर्फ नसीरीन और दो अन्य को उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत गिरफ्तार किया।
FIR के अनुसार, यह गिरोह लोगों को:
- झूठे वादे
- लालच
- भय
- नकली विवाह प्रस्तावों
के जरिए धर्म बदलने को मजबूर करता था।
संपत्ति और विदेशी फंडिंग की जांच
ATS की रिपोर्ट के मुताबिक, छांगुर बाबा ने “आस्था और आध्यात्मिक इलाज” के नाम पर भारी संपत्ति बनाई है। जांच एजेंसियां अब:
- उसके बैंक ट्रांजैक्शन
- प्रॉपर्टी रिकॉर्ड
- और संभावित विदेशी फंडिंग
की पड़ताल कर रही हैं।
लोगों से सतर्क रहने की अपील
उषा ठाकुर ने आम नागरिकों से भी सतर्क रहने और ऐसे ढोंगी बाबाओं के झांसे में न आने की अपील की। उन्होंने कहा कि
“धोखेबाज धार्मिक लिबास पहनकर लोगों की आस्था और बेटियों की सुरक्षा दोनों से खिलवाड़ कर रहे हैं। समाज को इनके खिलाफ खड़ा होना होगा।”
भाजपा विधायक उषा ठाकुर की टिप्पणी से एक बार फिर फर्जी बाबाओं, धार्मिक धोखाधड़ी और धर्मांतरण जैसे मुद्दे पर राजनीति गरमा गई है। छांगुर बाबा का मामला कानून, समाज और धर्म के जटिल सवालों को सामने लाता है, जिनका हल संवेदनशीलता और सख्ती – दोनों से निकालना जरूरी है।