कृषि क्रांति या आंकड़ों का खेल—इस सवाल ने देश की कृषि व्यवस्था पर एक नई बहस छेड़ दी है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के हालिया बयानों पर तीखा हमला बोलते हुए दावा किया कि देश में “फूड बास्केट” की बात महज एक भ्रम है, जबकि जमीनी सच्चाई कुछ और ही कहती है।
📸 किसान की बदहाली की तस्वीरें बनीं मुद्दा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पटवारी ने एक बंजर खेत में परेशान किसान की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “कृषि मंत्री सिर्फ आंकड़ों का भ्रम फैला रहे हैं, हकीकत यह है कि किसान कर्ज़, सूखा और घटते दामों की मार झेल रहे हैं।”
🧩 क्या वाकई भारत बन रहा है ‘फूड बास्केट ऑफ द वर्ल्ड’?
केंद्रीय मंत्री ने दावा किया था कि भारत जल्द ही दुनिया का फूड बास्केट बनेगा और कृषि क्षेत्र में क्रांति आ चुकी है। लेकिन पटवारी का कहना है कि यह कथन “झूठी तस्वीर पेश करने” जैसा है।
🧾 जीतू पटवारी ने दिए आंकड़ों के 4 ठोस तर्क:
1. सूखा और सिंचाई की मार
कम बारिश और सिंचाई अव्यवस्था से हजारों किसानों की फसलें बर्बाद हुईं। कई जिलों में खेती की लागत भी नहीं निकल पा रही।
2. सरकारी खरीद एक दिखावा
90% किसान MSP और सरकारी खरीद की बजाय प्राइवेट व्यापारियों को सस्ते में फसल बेचने को मजबूर हैं।
3. कर्ज़ और आत्महत्या की त्रासदी
पटवारी के अनुसार, सिर्फ मध्यप्रदेश में ही 6 महीनों में 300 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है।
4. अधूरी योजनाएं और जमीनी असफलता
योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। न समय पर बीज मिलते हैं, न खाद, और न ही सिंचाई की सुविधा। यही हाल खुद कृषि मंत्री के लोकसभा क्षेत्र में भी है।
📉 गिरती सरकारी खरीद और परेशान किसान
- 2025 में गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल के मुकाबले 37% कम हुई।
- किसान फसल बेचने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं।
🧪 कागजी आंकड़े बनाम हकीकत
जीतू पटवारी का दावा है कि सरकार के पास सिर्फ कागजी उपलब्धियां हैं:
- 13 करोड़ से ज्यादा लोग अब भी राशन से वंचित हैं।
- उत्पादन भले बढ़ा हो, लेकिन लाभ किसानों तक नहीं पहुंच रहा।
- MSP, मंडी व्यवस्था और बीमा योजनाएं किसानों की मदद नहीं कर पा रही हैं।
🤔 निष्कर्ष: क्या कृषि क्रांति सिर्फ प्रचार है?
कृषि क्रांति या आंकड़ों का खेल—इस सवाल का जवाब तब तक अधूरा रहेगा जब तक सरकार इन आरोपों पर स्पष्ट और पारदर्शी प्रतिक्रिया नहीं देती। अब तक बीजेपी की तरफ से कोई भी अधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
📢 सोशल मीडिया पर भी जारी है बहस
पोस्ट शेयर किए 20 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन ना शिवराज सिंह चौहान, ना पीएम मोदी और ना ही सीएम मोहन यादव की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आई है। यह चुप्पी क्या संकेत देती है?