गुरुवार को महाराष्ट्र विधानसभा परिसर उस समय तनाव का केंद्र बन गया जब बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर और एनसीपी-शरद गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड के समर्थकों के बीच जोरदार भिड़ंत हो गई। यह विवाद एक दिन पहले दोनों नेताओं के बीच हुई तीखी बहस के बाद और बढ़ गया, जो गाली-गलौच और धमकियों तक पहुंच चुका था।
घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें दोनों पक्षों के बीच झड़प देखी जा सकती है।
🗣️ गोपीचंद पडलकर का बयान: “मैं दुखी हूं, खेद प्रकट करता हूं”
बीजेपी विधायक पडलकर ने घटना पर अफसोस जताते हुए कहा,
“यह जो कुछ भी हुआ, उससे मैं बेहद दुखी हूं। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। मैं सभी से क्षमा चाहता हूं और खेद प्रकट करता हूं।”
💢 जितेंद्र आव्हाड का आरोप: “गुंडों को मिली विधानसभा में एंट्री”
वहीं जितेंद्र आव्हाड ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा,
“पूरा महाराष्ट्र जानता है कि हमला किसने किया। हमें सबूत देने को कहा जा रहा है, जबकि देश ने देखा कि हमलावर कौन थे। मुझे गालियां दी गईं, जान से मारने की धमकी मिली, ‘कुत्ता’ और ‘सुअर’ जैसे अपशब्दों का इस्तेमाल हुआ। विधानसभा में ऐसी भाषा और हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।”
आव्हाड ने यह भी कहा कि अगर विधायक ही सुरक्षित नहीं हैं तो यह लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है।
⚠️ उद्धव ठाकरे की तीखी प्रतिक्रिया: “गुंडे अगर विधानसभा में हैं, तो…”
शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस घटना पर सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,
“अगर गुंडे विधानसभा तक पहुंच गए हैं, तो इसके लिए राज्य के गृह मंत्री और मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं। यह घटना बेहद शर्मनाक और निंदनीय है।”
🧿 कांग्रेस का भी हमला: “महाराष्ट्र की गरिमा को ठेस”
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा:
“महाराष्ट्र विधानसभा की एक परंपरा रही है जो पूरे देश में मिसाल मानी जाती है। लेकिन आज जो कुछ हुआ, वह बेहद चिंताजनक है। विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।”
📍 विधानसभा सुरक्षा पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर विधानसभा सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
- किस तरह इतनी बड़ी संख्या में समर्थक परिसर में पहुंचे?
- क्या सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी हुई?
- क्या राजनीति में व्यक्तिगत वैमनस्य अब शारीरिक हिंसा में बदलता जा रहा है?
📝 निष्कर्ष: क्या विधानसभा की गरिमा खतरे में है?
महाराष्ट्र विधानसभा में हुई यह झड़प न सिर्फ राजनीतिक रूप से गंभीर मुद्दा है, बल्कि यह राज्य की लोकतांत्रिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचाती है। जब प्रतिनिधि ही आपस में भिड़ते हैं, तो आम नागरिकों को क्या संदेश जाता है?
इस घटना की पारदर्शी जांच होनी चाहिए और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।