आगरा की डॉ. भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी की कुलपति पर 46 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना मैनपुरी जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक छात्रा की शिकायत पर लगाया। आदेश में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी दो महीने के भीतर डिग्री उपलब्ध कराए और मानसिक क्षति के लिए मुआवज़ा भी दे।
2010 में पास की थी परीक्षा, अब तक नहीं मिली डिग्री
मैनपुरी के कुर्रा थाना क्षेत्र की रहने वाली श्वेता मिश्रा ने 2010 में बाबूराम पीजी कॉलेज, करहल से बीएससी की पढ़ाई पूरी की थी। डिग्री के लिए उन्होंने 500 रुपये फीस भी ऑनलाइन जमा कर दी थी, लेकिन उन्हें कभी डिग्री नहीं मिली।
शिकायत और संघर्ष की पूरी कहानी
श्वेता ने बताया कि उन्होंने 2022 में एलएलबी की डिग्री के लिए कानपुर यूनिवर्सिटी और आगरा यूनिवर्सिटी दोनों जगह आवेदन किया।
- कानपुर यूनिवर्सिटी से 8 दिन में डिग्री मिल गई।
- आगरा यूनिवर्सिटी से महीनों इंतजार के बाद भी कुछ नहीं हुआ।
उन्होंने दिसंबर 2022 में लिखित शिकायत दी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। फिर 2024 में कोर्ट से नोटिस भेजा और अंततः दिसंबर 2024 में उपभोक्ता आयोग में याचिका दायर की।
25 बार यूनिवर्सिटी के चक्कर, फिर भी नहीं मिली राहत
श्वेता ने कहा कि उन्होंने खुद 25 बार यूनिवर्सिटी जाकर डिग्री के लिए अपील की। हर बार उन्हें हेल्प डेस्क से अलग-अलग विभागों में घुमाया गया। हर बार यही जवाब मिला कि “डिग्री घर भेज दी जाएगी”, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ।
आयोग का आदेश: मानसिक पीड़ा का हर्जाना दें
आयोग के अध्यक्ष शशिभूषण पांडे और सदस्य नीतिका दास ने आदेश में लिखा कि यूनिवर्सिटी की लापरवाही से छात्रा को मानसिक और शारीरिक पीड़ा झेलनी पड़ी।
- ₹40,000 हर्जाने के रूप में
- ₹6,000 वाद व्यय के रूप में
- कुल ₹46,000 दो महीने के अंदर आयोग के खाते में जमा करने होंगे
डिग्री की वजह से नौकरी भी हाथ से गई
श्वेता ने बताया कि डिग्री न मिलने की वजह से उन्हें एक नोटरी पद की नौकरी भी गंवानी पड़ी। वहां असली डिग्री मांगी गई थी, जो उनके पास नहीं थी। उन्होंने यह भी बताया कि उनके भाई-बहन ने भी इसी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी, लेकिन आज तक उन्हें भी डिग्रियां नहीं मिली हैं।
यह मामला केवल एक छात्रा की डिग्री का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की लापरवाही का आईना है। शिक्षा संस्थानों की जवाबदेही तय करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में किसी और छात्र को इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।