BY: Yoganand Shrivastva
सना | भारत की नर्स निमिषा प्रिया, जो यमन की राजधानी सना में हत्या के आरोप में 2017 से जेल में बंद हैं, को अब माफ किए जाने की संभावना बेहद कम हो गई है। मृतक तलाल अब्दो महदी के परिवार ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि वे न तो मुआवजा (ब्लड मनी) स्वीकार करेंगे और न ही कोई माफी देंगे।
“माफ नहीं करेंगे, इंसाफ चाहिए”: महदी का परिवार अडिग
सीएनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, मृतक के भाई अब्देल फत्तह महदी ने सोशल मीडिया पर कहा,
“हम न्याय की उम्मीद करते हैं। चाहे फैसला देर से आए, लेकिन हम बदला लेकर ही रहेंगे। कोई कितना भी आग्रह करे, हम न माफ करेंगे और न ही पैसों का सौदा करेंगे।”
बीबीसी अरबी को दिए एक इंटरव्यू में भी उन्होंने शरियत कानून के तहत ‘किसास’ यानी बदले की सजा की मांग की। उनका कहना है कि ये मामला सिर्फ हत्या तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके चलते उनके परिवार को सालों तक कानूनी और मानसिक पीड़ा भी झेलनी पड़ी है।
भारतीय मीडिया पर झूठ फैलाने का आरोप
महदी ने भारतीय मीडिया पर यह भी आरोप लगाया कि वह निमिषा को पीड़िता की तरह पेश कर रहा है, जबकि कोर्ट में ऐसा कोई दावा नहीं किया गया कि तलाल ने उसका पासपोर्ट जब्त किया था या उसका शोषण किया गया था।
उन्होंने लिखा:
“कुछ भारतीय मीडिया संस्थान झूठे दावे कर रहे हैं ताकि दोषी को निर्दोष साबित किया जा सके।”
महदी ने यह भी बताया कि निमिषा की पूरी कानूनी प्रक्रिया में भारतीय दूतावास द्वारा नियुक्त वकील उपस्थित थे, और कार्यवाही पारदर्शी रही।
धार्मिक नेताओं ने की थी मध्यस्थता की कोशिश
15 जुलाई को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें भारत के कंथापुरम के ग्रैंड मुफ्ती एपी अबूबकर मुसलियार और यमन के प्रख्यात सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। यमन के सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश और मृतक के भाई ने भी इस बातचीत में भाग लिया।
यह बैठक शरिया कानून के तहत हुई, जहां पीड़ित परिवार को दोषी को बिना शर्त या मुआवजे के बदले माफ करने का अधिकार है। हालांकि, बातचीत के बावजूद परिवार ने माफी या समझौते से इंकार कर दिया।
यमन में भारत का दूतावास नहीं, रियाद से हो रही बातचीत
भारत ने यमन में 2015 में अस्थिरता के बाद स्थायी दूतावास बंद कर दिया था। अब यमन से संबंधित बातचीत सऊदी अरब की राजधानी रियाद स्थित भारतीय दूतावास के जरिए हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार ने जताई सीमा
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह निमिषा की मदद के लिए सीमित प्रयास ही कर सकती है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने अदालत को बताया कि सरकार अपनी सीमा तक पहुंच चुकी है।
सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल के वकीलों ने बताया कि एकमात्र रास्ता यही है कि मृतक का परिवार ब्लड मनी स्वीकार करे, जिसके लिए करीब 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपये) की पेशकश की गई थी। लेकिन पीड़ित पक्ष ने इसे यह कहते हुए ठुकरा दिया कि यह मामला उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा है।