रिपोर्टर: सुधीर सिंह /बाघमारा
धनबाद – झारखंड पुलिस विभाग में पदस्थापित एक अधिकारी पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। राजगंज थाना प्रभारी अलीशा कुमारी का जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने के बाद जाति छानबीन समिति ने उसे रद्द कर दिया है।
यह कार्रवाई बोकारो निवासी प्रदीप कुमार रे की शिकायत के आधार पर हुई, जिन्होंने 2 फरवरी 2023 को आरोप लगाया था कि अलीशा कुमारी मूलतः नवादा, बिहार की निवासी हैं, लेकिन उन्होंने गलत दस्तावेजों के आधार पर झारखंड का स्थायी निवासी बताते हुए पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त किया और झारखंड में उप निरीक्षक के पद पर नियुक्ति पा ली।
शिकायत पर हुई गहन जांच
जाति छानबीन समिति ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच प्रारंभ की। अलीशा कुमारी द्वारा दिए गए पते – ग्राम जामताड़ा, थाना डुमरी, जिला गिरिडीह पर जांच के दौरान पाया गया कि वह मकान वर्षों से बंद पड़ा है और उसमें कोई नहीं रहता। स्थानीय लोगों ने बताया कि अलीशा के पिता भुवनेश्वर प्रसाद अग्रवाल करीब 30 वर्ष पूर्व रोजगार के उद्देश्य से वहां आए थे, लेकिन अब नवादा (बिहार) में ही रहते हैं। गिरिडीह का घर उन्होंने सिर्फ किराए पर दे रखा है।
दस्तावेजों में गंभीर अनियमितता
जांच में खुलासा हुआ कि अलीशा ने झारसेवा पोर्टल पर रजिस्ट्री केवाला संख्या-11932 (22-10-1986), लगान रसीद (2015-16) और स्वघोषित शपथ पत्र के आधार पर जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। इसके लिए ग्राम सभा में स्थानीय निवासी होने की झूठी घोषणा भी करवाई गई थी।
समिति के समक्ष पेशी और अंतिम निर्णय
23 जून 2025 और 2 जुलाई 2025 को अलीशा कुमारी और शिकायतकर्ता प्रदीप रे, दोनों अपने अधिवक्ताओं के साथ समिति के समक्ष पेश हुए। सुनवाई के दौरान अलीशा अपने झारखंड निवासी होने या पिछड़ा वर्ग संघ से जुड़ाव का कोई ठोस प्रमाण नहीं दे पाईं।
अंततः उपलब्ध साक्ष्यों और सुनवाई के आधार पर, जाति छानबीन समिति ने अलीशा कुमारी का जाति प्रमाण पत्र संख्या JHCC/2017/229784, दिनांक 16-03-2017 को रद्द कर दिया।
प्रशासन और पुलिस विभाग पर सवाल
इस पूरे प्रकरण के सामने आने के बाद, झारखंड पुलिस महकमे में चुनाव प्रक्रिया, जाति सत्यापन और स्थानीयता प्रमाणन प्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अब देखना होगा कि क्या विभागीय कार्रवाई के तहत अलीशा कुमारी के विरुद्ध सस्पेंशन या बर्खास्तगी जैसी अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है या नहीं।