BY: Yoganand Shrivastva
अमेरिका में रहने वाला 48 वर्षीय जोनाथन ली आज दुनियाभर में एक बेहद अजीब शौक के कारण सुर्खियों में है। यह शख्स किसी सामान्य वजह से नहीं, बल्कि “केस दर्ज करने” की सनक के लिए जाना जाता है। उसका यह जुनून इस हद तक बढ़ गया कि उसने अब तक 4000 से अधिक लोगों पर मुकदमे दायर कर दिए हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें उसके नज़दीकी रिश्तेदार – जैसे उसकी मां, बहन और पत्नी तक – शामिल हैं।
केस दर्ज करना बना जीवन का मकसद
जोनाथन के लिए कानून का इस्तेमाल सिर्फ न्याय पाने के लिए नहीं, बल्कि अपने अजीबोगरीब शौक को पूरा करने का जरिया बन गया। वह हर उस बात पर मुकदमा कर देता है जो उसे जरा भी गलत लगती है। चाहे वह छोटी सी बात हो या बड़ी, उसके लिए सबकुछ अदालत में घसीटने लायक है।
मुकदमों से कमाए करोड़ों
जोनाथन के इस अनोखे शौक ने न केवल उसे पहचान दिलाई, बल्कि उसने इस रास्ते से करोड़ों की कमाई भी कर डाली। वह तकनीकी रूप से उन मुकदमों में ऐसा झोल ढूंढ लेता है जिससे समझौता कर पैसा ऐंठा जा सके। कई कंपनियों ने लंबी कानूनी लड़ाई से बचने के लिए उसके साथ समझौते कर लिए, जिससे उसे अच्छी-खासी रकम मिली।
गिनीज बुक में नाम आने पर भी केस
उसकी कानूनी सनक का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब उसे “दुनिया में सबसे ज़्यादा मुकदमे करने वाला व्यक्ति” घोषित कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया, तो उसने गिनीज बुक पर ही मुकदमा ठोंक दिया। उसका तर्क था कि उसकी अनुमति के बिना उसकी व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक की गई, जो निजता का उल्लंघन है।
टीवी शो पर भी मुकदमा ठोका
एक बार जोनाथन को एक चर्चित टेलीविज़न टॉक शो में बुलाया गया था, जहां होस्ट ने उससे पूछा कि इतनी प्रसिद्धि और पैसा होने के बावजूद उसके जीवन में कोई करीबी क्यों नहीं है। इस सवाल से नाराज़ होकर उसने शो बीच में ही छोड़ दिया और उस चैनल पर केस दर्ज कर दिया। उसका कहना था कि लाइव शो में बुलाकर उसे जानबूझकर अपमानित किया गया।
लोग कहते हैं “पागलपन की हद”
सोशल मीडिया पर जोनाथन को लेकर तरह-तरह के मीम्स और चर्चाएं चलती रहती हैं। कई लोग उसे “लीगल ट्रोल” तो कुछ “कानूनी आतंकवादी” तक कह चुके हैं। हालांकि, जोनाथन खुद को सिर्फ अपने अधिकारों के प्रति सजग नागरिक बताता है और मानता है कि वह समाज में अनुशासन लाने का काम कर रहा है।
मानसिक स्थिति पर भी उठे सवाल
कई मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यह व्यवहार मानसिक विकार का संकेत हो सकता है, जिसे “लीटिगेशन कंपल्शन डिसऑर्डर” कहा जाता है। यानी व्यक्ति को हर छोटी-बड़ी बात पर मुकदमा दर्ज करने की आदत हो जाती है, जो एक प्रकार की मानसिक बाध्यता बन जाती है।
सरकार और कोर्ट की भी नजर
जोनाथन के इस व्यवहार से परेशान होकर कुछ अमेरिकी राज्यों की अदालतों ने उसके नाम पर मुकदमा दर्ज करने से पहले अतिरिक्त जांच की शर्त भी रखी है। ताकि कोर्ट का समय और संसाधन बेवजह बर्बाद न हो। कुछ मामलों में तो उसे “व्यर्थ मुकदमेबाज” यानी vexatious litigant भी घोषित किया जा चुका है।
जोनाथन की जिंदगी का फलसफा
जोनाथन ली मानता है कि हर नागरिक को अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए। हालांकि, उसकी यह सोच अब जुनून का रूप ले चुकी है। वो मानता है कि दुनिया में अधिकांश लोग अपने साथ हुए अन्याय पर चुप रहते हैं, जबकि उसे लगता है कि हर छोटी बात पर न्याय की मांग जरूरी है – चाहे मामला कितना भी छोटा क्यों न हो।
जोनाथन ली की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने कानून को एक अजीब शौक में बदल दिया। उसकी आदत ने जहां उसे दुनिया में अलग पहचान दिलाई, वहीं उसे मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर अकेला भी कर दिया। यह मामला न केवल कानून के दुरुपयोग की एक मिसाल है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जुनून जब नियंत्रण से बाहर हो जाए, तो किस हद तक ज़िंदगी को प्रभावित कर सकता है।