गेरुवापोखर स्कूल में बच्चों से कराई जा रही मुहर लगाने की जिम्मेदारी
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है। गेरुवापोखर स्कूल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें स्कूल के मासूम बच्चे पढ़ाई की जगह “प्रधान पाठक की मुहर” लगाने का काम करते नजर आ रहे हैं।
यह घटना न सिर्फ प्रशासन की निगरानी पर सवाल उठाती है, बल्कि शिक्षा के मंदिर में बच्चों के साथ हो रहे श्रम शोषण की साफ तस्वीर भी सामने रखती है।
वायरल वीडियो में क्या है?
वायरल वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि कुछ स्कूली बच्चे किताबों और दस्तावेजों पर प्रधान पाठक की सील (मुहर) लगा रहे हैं। ये काम उन्हें शिक्षक की मौजूदगी में कराया जा रहा है। बच्चों की उम्र ऐसी है, जब उनके हाथों में किताबें और कलम होनी चाहिए, लेकिन यहां वे ब्यूरोक्रेटिक काम में लगाए जा रहे हैं।
शिक्षक की लापरवाही उजागर
वीडियो सामने आने के बाद शिक्षक की स्पष्ट लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैये की आलोचना हो रही है। जिस शिक्षक को बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है, वो स्वयं अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ते हुए श्रम कानून और बाल अधिकारों की अवहेलना कर रहा है।
शिक्षा विभाग पर उठे सवाल
इस घटना ने छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
- क्या शिक्षा का स्तर इतना गिर चुका है कि बच्चों से अब स्कूलों में काम लिया जाएगा?
- क्या निरीक्षण और निगरानी के अभाव में ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं?
- क्या बच्चों के अधिकारों और उनके मानसिक विकास की चिंता किसी को नहीं है?
मासूमों से काम लेना क्या अपराध नहीं?
बच्चों से शैक्षणिक संस्थानों में इस प्रकार का गैर-शैक्षणिक कार्य कराना स्पष्ट रूप से बाल अधिकारों का उल्लंघन है, और यह कानूनन दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत कोई भी गैर-शैक्षणिक कार्य विद्यार्थियों से कराना अवैध है।
प्रशासन की जिम्मेदारी
अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन इस मामले पर क्या कार्रवाई करता है।
- क्या दोषी शिक्षक पर कार्रवाई होगी?
- क्या स्कूल में निगरानी बढ़ाई जाएगी?
- और सबसे जरूरी – क्या बच्चों को दोबारा सिर्फ शिक्षा देने का वादा पूरा होगा?