रिपोर्ट – विष्णु गौतम
“साहब, प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों की कमी क्यों नहीं होती? सरकारी स्कूलों में ही क्यों होती है?”
यही सवाल करते हुए दुर्ग जिले के बड़े टेमरी गांव स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के हाईस्कूल के छात्र-छात्राएं लगातार तीसरे दिन भी स्कूल नहीं गए। वे शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर स्कूल गेट पर ताला लगाकर धरने पर बैठे हैं।
शिक्षकों की वर्षों से कमी, पढ़ाई हो रही बाधित
छात्रों का आरोप है कि विद्यालय में पिछले कई वर्षों से शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं।
- हिंदी, वाणिज्य, और राजनीति विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों के व्याख्याता नहीं हैं।
- विद्यालय में प्राचार्य पद भी रिक्त है, जिससे प्रशासनिक कामकाज भी प्रभावित हो रहा है।
- शिक्षक नहीं होने से पढ़ाई अधूरी रह जाती है और छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है।
धरना स्थल पर बारिश भी नहीं रोक पाई बच्चों का विरोध
छात्रों ने अपने पालकों और पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर स्कूल के मुख्यद्वार पर ताला जड़ दिया और दूसरे दिन भी धरने पर डटे रहे।
इस दौरान क्षेत्रीय प्रशासन हरकत में आया और एसडीएम, तहसीलदार और थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने बच्चों को काफी समझाने का प्रयास किया, लेकिन छात्रों ने साफ शब्दों में कह दिया –
“जब तक विषयवार शिक्षक नियुक्त नहीं होते, हम स्कूल नहीं जाएंगे।”
तेज बारिश के बावजूद बच्चे और पालक पानी में भीगते हुए धरने पर डटे रहे। अधिकारियों ने सरकारी कार्य में बाधा डालने के नियमों का हवाला देकर किसी तरह ताला खुलवाया, लेकिन बच्चों ने स्कूल बहिष्कार की घोषणा जारी रखी।
छात्रों की एकजुट आवाज – “शिक्षक दो, शिक्षा दो”
इस विरोध से यह साफ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शिक्षा व्यवस्था के हालात बदतर हैं। निजी स्कूलों में सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षक तक नहीं मिल पा रहे।
बच्चों की यह लड़ाई न केवल उनके अधिकारों की मांग है, बल्कि पूरे सिस्टम को जागरूक करने का संदेश है कि शिक्षा सिर्फ भवनों से नहीं, सक्षम शिक्षकों से पूरी होती है।