रिपोर्ट – अभिषेक सिंह
कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर में जिला प्रशासन की एक अभिनव पहल ‘मावा मोदूल’ ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे आदिवासी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए उम्मीद की नई किरण जगाई है। इस शैक्षणिक योजना का हाल ही में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हरेश मांडवी ने निरीक्षण किया और इसकी सुविधाओं का जायजा लिया।
क्या है ‘मावा मोदूल’?
जिला कलेक्टर नीलेश महादेव क्षीरसागर की पहल पर शुरू की गई ‘मावा मोदूल’ योजना का उद्देश्य दूरस्थ और संसाधनविहीन क्षेत्रों के विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की समुचित तैयारी के लिए उचित संसाधन और वातावरण उपलब्ध कराना है।
यह संस्थान सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक निःशुल्क संचालित होता है और इसमें निम्न सुविधाएं उपलब्ध हैं:
- निशुल्क कोचिंग क्लासेस – विषय विशेषज्ञों द्वारा पढ़ाई
- सुसज्जित लाइब्रेरी – पुस्तकों, नोट्स और पाठ्य सामग्री की सुविधा
- इंटरनेट एक्सेस – ऑनलाइन अध्ययन सामग्री और मॉक टेस्ट की सुविधा
- अनुशासित पढ़ाई का माहौल – केंद्रित अध्ययन के लिए आदर्श स्थान
निरीक्षण के दौरान क्या कहा CEO हरेश मांडवी ने?
निरीक्षण के दौरान मुख्य कार्यपालन अधिकारी हरेश मांडवी ने छात्रों से बातचीत की और पढ़ाई के माहौल तथा उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी ली। उन्होंने कहा:
“मावा मोदूल की शुरुआत से छात्रों में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रति गंभीरता और रुझान दोनों बढ़ा है। यहां से पढ़ने वाले कई छात्र विभिन्न परीक्षाओं में चयनित भी हुए हैं।”
आगे क्या है योजना?
मॉडल की सफलता को देखते हुए प्रशासन अब इस योजना को कांकेर जिला मुख्यालय में भी शुरू करने की तैयारी कर रहा है, ताकि और अधिक विद्यार्थी इस योजना का लाभ उठा सकें। इससे जिले भर के छात्रों को प्रतियोगिता की दौड़ में पीछे न रहने देने का सुनहरा अवसर मिलेगा।