अब आप अपने स्मार्टफोन ऐप से निजी नंबर की बाइक टैक्सी बुक कर पाएंगे। केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए पहली बार गैर-परिवहन (निजी) मोटरसाइकिलों के ज़रिए सवारी की अनुमति दे दी है, बशर्ते राज्य सरकार इसकी मंजूरी दे।
यह कदम न सिर्फ यात्रा को सस्ता और सुलभ बनाएगा, बल्कि ट्रैफिक भीड़ और प्रदूषण को कम करने में भी मदद करेगा।
क्या है सरकार की नई गाइडलाइंस?
मंगलवार को केंद्र सरकार ने गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनमें राज्य सरकारों को अधिकार दिया गया है कि वे गैर-परिवहन बाइक को यात्री सेवा में लाने की अनुमति दे सकती हैं। ये निर्देश मोटर वाहन अधिनियम की धारा 67(3) के तहत लागू किए गए हैं।
- राज्य सरकारें तय करेंगी कि कौन-सी बाइक को मंजूरी दी जाए।
- राज्य चाहे तो दैनिक, साप्ताहिक या मासिक लाइसेंस शुल्क भी तय कर सकती है।
- यह अनुमति एग्रीगेटर कंपनियों के माध्यम से दी जा सकेगी।
कौन-कौन से एग्रीगेटर होंगे शामिल?
इस गाइडलाइन से Uber और Rapido जैसी कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। ये कंपनियां पहले से भारत में बाइक टैक्सी सेवाएं दे रही थीं लेकिन कानूनी अस्पष्टता के कारण उन्हें कई राज्यों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
उबर की प्रतिक्रिया:
“यह फैसला इनोवेशन और स्पष्ट रेगुलेशन की दिशा में एक बड़ा कदम है। हम सभी स्तरों पर सरकार के साथ मिलकर इसका बेहतर क्रियान्वयन करेंगे।”
रैपिडो का बयान:
“MVAG 2025 के तहत मिली मंजूरी भारत की विकास यात्रा में मील का पत्थर है। इससे ग्रामीण और हाइपरलोकल क्षेत्रों में भी किफायती यात्रा संभव होगी।”
क्यों अहम है यह फैसला?
फायदों की सूची:
- यातायात में कमी: निजी बाइक के उपयोग से भीड़भाड़ कम होगी।
- प्रदूषण घटेगा: अधिक बाइक टैक्सी मतलब कम कारें, कम धुआं।
- सस्ती यात्रा: मेट्रो और बस से कनेक्ट करने के लिए किफायती विकल्प।
- रोजगार के मौके: युवा अपनी निजी बाइक से कमाई कर सकेंगे।
- हाइपरलोकल डिलीवरी: छोटे पैकेज या खाने की डिलीवरी में सुविधा।
बाइक टैक्सी और भारत की मोबिलिटी क्रांति
भारत में साझा परिवहन (शेयर्ड मोबिलिटी) का भविष्य तेजी से बदल रहा है। 2020 में सरकार ने Motor Vehicle Aggregator Guidelines 2020 जारी किए थे, जो अब निजी बाइक टैक्सी को शामिल करके और अधिक समावेशी हो गए हैं।
इन परिवर्तनों में शामिल हैं:
- इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी का आगमन
- ऑटो और ई-रिक्शा के साथ बाइक को भी साझा परिवहन का हिस्सा बनाना
- यूजर सुरक्षा और ड्राइवर कल्याण पर फोकस
केंद्र सरकार का यह फैसला शहरी और ग्रामीण भारत में यात्रा की तस्वीर को बदल सकता है। निजी बाइकों का एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स पर इस्तेमाल ट्रैफिक, प्रदूषण और महंगे सफर की समस्या का हल बन सकता है। साथ ही लाखों लोगों के लिए आजीविका का नया स्रोत भी बनेगा।
अब देखना यह है कि कौन-कौन से राज्य इस पहल को हरी झंडी दिखाते हैं।