सीरिया की राजधानी दमिश्क के पास एक चर्च में उस वक्त खौफनाक आत्मघाती हमला हुआ, जब लोग प्रार्थना में लीन थे। एक हमलावर ने पहले चर्च के अंदर गोलीबारी की और फिर खुद को बम से उड़ा लिया। इस हमले में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई, जबकि 53 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं।
क्या हुआ था हमला?
यह हमला दमिश्क के बाहरी इलाके दवेइला स्थित ‘मार एलियास चर्च’ में रविवार को हुआ। उस समय चर्च में सैकड़ों लोग प्रार्थना कर रहे थे। अचानक एक आत्मघाती हमलावर चर्च में घुसा और:
- पहले वहां मौजूद लोगों पर गोलियां बरसाईं
- फिर विस्फोटक जैकेट से खुद को उड़ा लिया
मौके पर मचा कोहराम
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हमले के तुरंत बाद चर्च में चीख-पुकार मच गई। कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बच्चों और महिलाओं सहित कई लोग मारे गए हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घटना के कुछ ही मिनटों बाद सुरक्षाबलों ने चर्च को चारों ओर से घेर लिया और राहत कार्य शुरू किया।
अब तक किसी संगठन ने नहीं ली जिम्मेदारी
अब तक किसी भी आतंकवादी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि, सीरियाई आंतरिक मंत्रालय ने इसे इस्लामिक स्टेट (ISIS) के एक कट्टरपंथी से जोड़कर देखा है। मंत्रालय का कहना है कि:
- हमलावर एक चरमपंथी था
- चर्च में घुसकर पहले गोलीबारी की
- फिर आत्मघाती धमाका कर खुद को उड़ा लिया
सरकार की प्रतिक्रिया
सीरिया के सूचना मंत्री हमजा मुस्तफा ने हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे “कायरतापूर्ण आतंकवादी कृत्य” बताया और कहा कि यह हम सबके साझा नागरिक मूल्यों पर हमला है। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना भी व्यक्त की।
हमले का संभावित मकसद और पृष्ठभूमि
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला सीरिया में वर्षों बाद हुआ सबसे बड़ा आत्मघाती हमला है। इसके पीछे कई संभावनाएं हो सकती हैं:
- अल्पसंख्यकों में भय फैलाना
- सरकार के खिलाफ अस्थिरता पैदा करना
- स्लीपर सेल्स की सक्रियता का संकेत
सीरिया में अभी भी कई चरमपंथी संगठन सक्रिय हैं, जो समय-समय पर सरकार और आम जनता को निशाना बनाते रहे हैं।
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इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर सीरिया की सुरक्षा व्यवस्था और चरमपंथी गतिविधियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। चर्च जैसे धार्मिक स्थल को निशाना बनाया जाना न सिर्फ इंसानियत पर हमला है, बल्कि यह देश में फिर से अशांति फैलाने की कोशिश भी मानी जा रही है।