साहस, तारीफ, आलोचना और गंभीर सवाल !
दिल्ली: संसद के बजट सत्र के तीसरे दिन विपक्ष के नेता और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी ने 40 मिनट का भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने न केवल केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए बल्कि यूपीए सरकार की कमियों को भी स्वीकार किया। उन्होंने अपने भाषण में बेरोजगारी, मेक इन इंडिया, सीमा सुरक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों जैसे अहम मुद्दों को उठाया।
1. बेरोजगारी पर खुली आलोचना
राहुल गांधी ने बेरोजगारी को देश की सबसे बड़ी समस्या बताया। उन्होंने कहा कि न केवल मौजूदा एनडीए सरकार, बल्कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार भी इस मुद्दे का समाधान करने में विफल रही। उनका मानना था कि तेज आर्थिक विकास के बावजूद रोजगार के अवसर पर्याप्त नहीं बन सके।
2. मेक इन इंडिया की सराहना और समीक्षा
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को एक अच्छा विचार बताया। उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देना जरूरी है, परंतु इसकी सफलता सीमित रही है। उन्होंने डेटा के जरिए दिखाया कि 2014 में मैन्युफैक्चरिंग का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान 15.3% था, जो घटकर 12.6% रह गया है।
3. वोटर डेटा में अनियमितताओं का आरोप
राहुल ने महाराष्ट्र के चुनावों में वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद महज पांच महीनों में लाखों नए वोटर्स जोड़े गए, जो सामान्य प्रक्रिया से अलग था। उन्होंने चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट को इलेक्ट्रॉनिक रूप में साझा करने की मांग की।
4. चीन के साथ सीमा विवाद पर सवाल
राहुल गांधी ने भारत-चीन सीमा विवाद का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार ने चीन की घुसपैठ के मामलों को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने दावा किया कि लगभग 4000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीन का कब्जा है, जबकि प्रधानमंत्री ने इस बात से इनकार किया है। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने सबूत पेश करने की मांग की।
5. संवैधानिक मूल्यों पर चिंता
राहुल ने आरएसएस और मोहन भागवत पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि देश के संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने सरदार पटेल और डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके मूल्यों को नष्ट किया जा रहा है।
6. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर टिप्पणी
राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण को उबाऊ और औपचारिक करार दिया। उन्होंने कहा कि यह भाषण देश की जमीनी हकीकत को नहीं दर्शाता और इसमें आम जनता के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया।
सदन में हुई बहस और प्रतिक्रियाएँ
राहुल गांधी के भाषण के दौरान उन्हें कई बार टोका गया, खासकर उनके अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण और चीन के मुद्दे पर दिए गए बयानों पर। किरेन रिजिजू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनके बयानों पर आपत्ति जताई।
परिवार की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने उनके भाषण की तारीफ करते हुए कहा कि यह भाषण न केवल आलोचना तक सीमित था बल्कि इसमें देश के भविष्य के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया गया।
राहुल गांधी का यह भाषण संसद में न केवल सरकार की आलोचना के लिए याद रखा जाएगा बल्कि उनके द्वारा अपनी ही पार्टी की विफलताओं को स्वीकार करने के साहस के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाएगा।
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