लेखक: डॉ. मोहन यादव, मुख्यमंत्री (म.प्र.)
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है… यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है… यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है, इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिंदु-बिंदु गंगाजल है हम जियेंगे तो इसके लिये, मरेंगे तो इसके लिये।।
मां भारती के लिए सर्वस्व अर्पण करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न और राष्ट्रपुरुष श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की 101वीं जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन। अटलजी नवसृजन और नवउत्थान के स्वप्नदृष्टा थे। उनका जीवन, चिंतन और कार्य भारतीय आत्मा से गहराई से जुड़ा रहा। वे सबके प्रिय, सबके अपने और जन-जन के हृदय में बसे अजातशत्रु राजनेता थे। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की यात्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक साधारण कार्यकर्ता से प्रारंभ होकर राष्ट्रधर्म के संपादक, भारतीय जनसंघ के सशक्त आधार और भारतीय जनता पार्टी के सर्वोच्च नेतृत्व तक पहुंची। वे राजनीति को व्यक्ति निर्माण, समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण का माध्यम मानते थे। उनके नेतृत्व में समर्पित कार्यकर्ताओं की अनेक पीढ़ियां तैयार हुईं, जिनके लिए सेवा, त्याग और राष्ट्रनिष्ठा जीवन का लक्ष्य बना।
अटलजी का व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे श्रेष्ठ कवि, सफल पत्रकार, दूरदर्शी विचारक और संवेदनशील चिंतक थे। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने सड़क, संचार, शिक्षा, विज्ञान, तकनीक और आधारभूत संरचना में ऐतिहासिक कार्य किए। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से गांवों को विकास से जोड़ा और सर्वशिक्षा अभियान से शिक्षा को व्यापक बनाया। पोखरण परमाणु परीक्षण और स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना उनके दृढ़ राष्ट्रवादी संकल्प के उदाहरण हैं।
अटलजी की दूरदृष्टि का बड़ा उदाहरण नदी जोड़ो अभियान है। उन्होंने जल की एक-एक बूंद के संरक्षण और उपयोग पर बल दिया। उनके इस संकल्प को साकार करने में मप्र अग्रणी भूमिका निभा रहा है। पार्वती-कालीसिंध-चंबल और केन-बेतवा लिंक परियोजनाएं जल संकट के समाधान और कृषि समृद्धि की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में अटलजी के स्वप्न को नई ऊर्जा मिली है। देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है और भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ी है। मप्र ने भी विकास की नई दिशा पकड़ी है। रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव, निवेश और रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहे हैं। भोपाल मेट्रो जैसी परियोजनाएं आधुनिक अधोसंरचना का उदाहरण हैं। अटलजी के लिए सुशासन का अर्थ पारदर्शी, सुलभ व्यवस्था था। आज यह मंत्र पूरे देश में लागू हो रहा है। उनकी 101वीं जयंती पर हम संकल्प लें कि उनके विचारों को अपने आचरण में उतारें। सशक्त, समृद्ध व आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहभागी बनें।





