BY: Yoganand Shrivastva
Indore। नगर निगम के पूर्व पार्षद अनवर कादरी की जमानत याचिका हाल ही में अदालत द्वारा खारिज कर दी गई। कादरी पर लव जिहाद के लिए फंडिंग और अन्य गंभीर आपराधिक आरोप लगाए गए हैं। इस मामले ने नगर निगम और पूरे शहर में हलचल मचा दी है।
कादरी ने अपनी जमानत याचिका में चौंकाने वाला दावा किया कि उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए दबाव बनाया गया। उनके अनुसार, उन्होंने भाजपा की सदस्यता लेने से इंकार किया, जिसके बाद उन पर यह झूठा मामला दर्ज किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस केस में उनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कोई संबंध नहीं है और जेल में रहने से उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है।
अदालत ने जमानत खारिज की
शासन की ओर से जमानत आवेदन का विरोध किया गया और सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश यतेश शिशौदिया ने अनवर कादरी की जमानत याचिका खारिज कर दी। इससे कादरी अभी भी हिरासत में रहेंगे और जांच पूरी होने तक अदालत ने कोई राहत नहीं दी है।
पार्षद पद से हटाया गया
अनवर कादरी नगर निगम के वार्ड 58 से पार्षद थे। उन्हें 5 नवंबर को पार्षद पद से हटाया गया और संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने आदेश जारी करते हुए उन्हें अगले पांच साल तक किसी भी चुनाव में भाग लेने से अयोग्य घोषित किया। कादरी के खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें झूठा बयान देने, मारपीट, आर्म्स एक्ट, हत्या और धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम जैसी धाराएँ शामिल हैं।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने उनके खिलाफ गंभीर आरोपों के मद्देनजर संभागायुक्त से अनुशंसा की थी। नगर निगम द्वारा आयोजित विशेष सम्मेलन में कादरी को पद से हटाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया।
आरोपों की गंभीरता
अनवर कादरी के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या दर्जनों में है। इनमें धारा 302, 307, 324, 392, 506, 452, 341, 427, 25 आर्म्स एक्ट, 64 और 64(2)(एम) जैसी गंभीर धाराएँ शामिल हैं। इन मामलों में हत्या, धमकी, मारपीट, वसूली और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा जैसे आरोप लगाए गए हैं।
इसके अलावा जून माह में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दो युवकों ने आरोप लगाया था कि कादरी ने उन्हें पैसे दिए थे ताकि वे हिंदू महिलाओं को अपने जाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन और वेश्यावृत्ति की ओर धकेलें। इस वीडियो के बाद पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज किया।
गिरफ्तारी और फरार अवधि
कादरी तब फरार हो गए थे। पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए इंदौर, दिल्ली और कई अन्य शहरों में दबिश दी। उनकी गिरफ्तारी पर 40 हजार रुपए का इनाम भी रखा गया था। इस दौरान उनकी बेटी आयशा को भी गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उस पर पिता को छिपाने में मदद करने का आरोप लगा था।
करीब तीन महीने फरार रहने के बाद, 29 अगस्त को अनवर कादरी ने जिला अदालत में सरेंडर कर दिया। उसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किए।
जांच की स्थिति
पुलिस ने कहा है कि मामले में जांच अभी जारी है। जमानत खारिज होने के बाद कादरी हिरासत में रहेंगे और सभी आरोपों की गहन जांच की जाएगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की राजनीतिक या व्यक्तिगत दबाव के दावे की जांच विधिक प्रक्रिया के अनुसार होगी।
इस मामले ने इंदौर शहर में राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर चर्चा छेड़ दी है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस का यह उद्देश्य है कि सभी आरोपों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो और दोषियों को न्यायालय द्वारा कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़े।
कुल मिलाकर, अनवर कादरी का मामला केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं बल्कि गंभीर आपराधिक आरोपों से जुड़ा हुआ है। अदालत की कार्रवाई और पुलिस की जांच से ही भविष्य में मामले की दिशा स्पष्ट होगी।





