रिपोर्ट- किसन लाल विश्वकर्मा, एडिट- विजय नंदन
मगरलोड: मगरलोड ब्लॉक स्थित राजा डेरा बांध के तटबंध का एक हिस्सा अचानक टूट जाने से हड़कंप मच गया है। इस घटना ने एक बार फिर जल संसाधन विभाग के कथित भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। बांध टूटने से हजारों लीटर पानी जंगल और नहरों में बहकर बर्बाद हो गया है, जिससे क्षेत्र के किसानों में भारी आक्रोश है।
30 घंटे बाद भी विभाग निष्क्रिय: 15 करोड़ की लागत वाला बांध ध्वस्त
करीब 25 साल पहले 15 करोड़ रुपये की लागत से बने राजा डेरा बांध की कुल जल भराव क्षमता 7.43 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) है। स्थानीय लोगों के अनुसार, कुछ दिन पहले पानी का तेज़ रिसाव शुरू हुआ और देखते ही देखते बांध का तटबंध लगभग 50 फीट तक ढह गया। इस रिसाव और तटबंध टूटने के कारण बांध का लगभग 30 प्रतिशत पानी बहकर बर्बाद हो गया है। सबसे गंभीर बात यह है कि तटबंध के ध्वस्त होने के 30 घंटे बीत जाने के बाद भी जल संसाधन विभाग द्वारा पानी के रिसाव को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे क्षेत्र के किसान अत्यधिक नाराज़ हैं।

जल संसाधन विभाग पर क्षेत्र में भ्रष्टाचार के आरोप कोई नई बात नहीं है। किसानों का कहना है कि इसी विभाग द्वारा इसी क्षेत्र के बकोरी बांध में भी मरम्मत के नाम पर भारी भरकम भ्रष्टाचार किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप निर्माण के कुछ ही वर्षों में बांध का गेट टूट गया था।

किसानों की प्रतिक्रिया: टोमन सिंह साहू, अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ, मगरलोड: “यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का नतीजा है। 25 साल पहले 15 करोड़ से बना बांध चंद दिनों में ढह गया। विभाग की लापरवाही देखिए, 30 घंटे हो गए और पानी बर्बाद हो रहा है, किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली।

मामले पर जल संसाधन विभाग के अधिकारी ने बयान दिया है: रविन्द्र कुंजाम, एसडीओ, जल संसाधन विभाग: (जल्द ही विभाग की तरफ से मरम्मत कार्य शुरू करने और मामले की जाँच करने की बात कही जा सकती है, जिसके लिए ठोस जानकारी प्रतीक्षित है।)
क्षेत्र के किसानों ने प्रशासन से जल्द से जल्द राजा डेरा बांध के तटबंध की मरम्मत करने और बर्बाद हुए पानी से फसलों को हुए नुकसान का उचित मुआवजा देने की मांग की है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।





