पूर्व सरपंच-सचिव पर अनियमितताओं के गंभीर आरोप
अंतागढ़, छत्तीसगढ़ — ग्राम पंचायत हिमोड़ा में फरवरी 2025 में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के बाद नवनियुक्त सरपंच को अब तक विधिवत प्रभार नहीं सौंपा गया है, जिससे पंचायत के विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है। इस देरी के कारण पंचायत के कई महत्वपूर्ण कार्य ठप पड़े हैं, और ग्रामीणों में असंतोष व्याप्त है।
ग्रामवासियों का आरोप है कि पूर्व सरपंच और सचिव ने अपने कार्यकाल के दौरान कई वित्तीय अनियमितताएं की हैं। निर्माण कार्यों में लगे व्यापारियों और मजदूरों को भुगतान नहीं किया गया, जबकि संबंधित कार्यों की पूर्ण राशि आहरित कर ली गई थी। कुछ मामलों में तो कार्य किए बिना ही राशि निकाल ली गई। पंचों को मिलने वाला मानदेय भी पूरी तरह नहीं दिया गया; उन्हें लगभग ₹30,000 मिलना था, लेकिन केवल ₹2,000 से ₹4,000 देकर संतुष्ट किया गया। पंचायत में कार्यरत महिला चपरासी को भी उसका मानदेय नहीं मिला है।
पंचायत विभाग द्वारा हर साल पंचायतों का भौतिक सत्यापन कराया जाता है, लेकिन हिमोड़ा पंचायत में पिछले पांच वर्षों से यह सत्यापन नहीं हुआ है। इस लापरवाही के कारण सरपंच और सचिव द्वारा वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम देने का अवसर मिला।
यह समस्या केवल हिमोड़ा पंचायत तक सीमित नहीं है। छत्तीसगढ़ के कई पंचायतों में नवनिर्वाचित सरपंचों को प्रभार नहीं मिल पाने की समस्या सामने आई है, जिससे विकास कार्यों में रुकावट आ रही है। उदाहरणस्वरूप, सक्ती जिले के मालखरौदा जनपद के ग्राम पंचायत बड़े पाड़रमुडा में भी नए सरपंच को दो माह बाद तक कार्यभार नहीं मिला था।
ग्रामवासियों ने संबंधित अधिकारियों से मांग की है कि नवनियुक्त सरपंच को शीघ्र प्रभार सौंपा जाए और पूर्व सरपंच एवं सचिव द्वारा की गई अनियमितताओं की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए, ताकि पंचायत के विकास कार्य पुनः प्रारंभ हो सकें।