थाईलैंड और कंबोडिया के बीच पिछले पांच दिनों से चल रहा संघर्ष अब थमने की उम्मीद है। दोनों देशों के शीर्ष नेता मलेशिया में वार्ता करने वाले हैं, ताकि सीमा पर बढ़ते तनाव को समाप्त किया जा सके। इस संघर्ष में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 1.68 लाख लोग विस्थापित हो गए हैं।
थाईलैंड के प्रधानमंत्री कार्यालय ने जानकारी दी है कि यह बैठक सोमवार को मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के निमंत्रण पर होगी।
कब और कैसे होगी वार्ता?
थाईलैंड प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता जिरायु हुआंगसाप ने बताया कि:
- कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथाम वेचायाचाई इस वार्ता में हिस्सा लेंगे।
- उनके साथ कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट भी शामिल होंगे।
- हालांकि कंबोडिया की ओर से औपचारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।
यह वार्ता ऐसे समय हो रही है जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच लगातार गोलीबारी और झड़पें जारी हैं।
कैसे शुरू हुआ संघर्ष?
संघर्ष की शुरुआत पिछले सप्ताह हुई, जब थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर एक सुरंग में हुए विस्फोट में पांच थाई सैनिक घायल हो गए। इसके बाद दोनों ओर से जवाबी कार्रवाई शुरू हो गई।
इस बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से बात की है और चेतावनी दी है कि अगर संघर्ष नहीं रुका, तो वे किसी भी देश के साथ व्यापारिक समझौते आगे नहीं बढ़ाएंगे।
ट्रंप के हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्षों ने संघर्ष विराम पर सहमति जताई।
कंबोडिया का रुख
कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने रविवार को बयान जारी कर कहा:
- उनका देश “तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम” पर सहमत है।
- उन्होंने दावा किया कि थाईलैंड भी हमले रोकने को तैयार है।
- हालांकि, सीमा पर कुछ हिस्सों में झड़पें रविवार को भी जारी रहीं।
इससे साफ है कि शांति प्रक्रिया अभी भी संवेदनशील मोड़ पर है और सैन्य गतिविधियां पूरी तरह से नहीं रुकी हैं।
आगे क्या?
- मलेशिया में होने वाली यह बैठक संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
- विस्थापित लोगों की सुरक्षित वापसी और सीमा पर स्थायी शांति इसके मुख्य एजेंडे होंगे।
- कूटनीतिक प्रयासों से उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच तनाव घटेगा और स्थिति सामान्य होगी।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रहा संघर्ष एक मानवीय संकट का रूप ले चुका है। मलेशिया में होने वाली यह शांति वार्ता दोनों देशों के भविष्य और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बेहद अहम मानी जा रही है। अगर वार्ता सफल रहती है, तो लाखों विस्थापित लोग अपने घर लौट सकेंगे और क्षेत्र में स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त होगा।