BY: Yoganand Shrivastva
कल्पना कीजिए कि जब आपको जीवन में कोई उलझन हो, अकेलापन महसूस हो या किसी अनुभवी व्यक्ति की सलाह चाहिए—तब आप किसी दादी जैसी महिला को किराए पर बुला सकें!
जापान में यह कल्पना कई लोगों के लिए हकीकत बन चुकी है। यहां ‘ओके ग्रैंडमा’ नामक एक अनोखी सेवा 2012 से संचालित हो रही है, जो बुजुर्ग महिलाओं को एक तय समय के लिए “हायर” करने की सुविधा देती है। यह सेवा लोगों को न सिर्फ भावनात्मक समर्थन देती है, बल्कि जीवन के कठिन मोड़ों पर दिशा भी दिखाती है।
क्या है ‘ओके ग्रैंडमा’?
यह एक कस्टमर सर्विस कंपनी है जो 60 से 94 वर्ष की उम्र की अनुभवी महिलाओं को प्रति घंटे लगभग 2000 रुपये के शुल्क पर उपलब्ध कराती है। ग्राहक अपनी जरूरत के अनुसार इन महिलाओं से बातचीत कर सकते हैं, सलाह ले सकते हैं या भावनात्मक संबल प्राप्त कर सकते हैं।
सेवा की खास बातें:
- भावनात्मक सहारा: जिन लोगों को अकेलापन महसूस होता है या जिन्हें अपनों से बात करने का मौका नहीं मिलता, वे इन बुजुर्ग महिलाओं से खुलकर संवाद कर सकते हैं।
- जीवन सलाह: इन महिलाओं के जीवन अनुभवों के कारण वे युवाओं को रिश्ते, करियर, विवाह, बच्चों की परवरिश और अन्य सामाजिक विषयों पर मार्गदर्शन देती हैं।
- माफी मंगवाने जैसी सेवाएं भी शामिल: कंपनी कुछ विशेष स्थितियों में आपकी ओर से माफी मंगवाने या किसी मीटिंग/इवेंट में आपकी जगह प्रतिनिधि भेजने जैसी सेवाएं भी देती है।
क्यों है यह सेवा खास?
जापान एक ऐसा देश है जहां बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है और अकेले रहने वालों की तादाद भी अधिक है। ऐसे में ‘ओके ग्रैंडमा’ जैसे कॉन्सेप्ट दोहरी भूमिका निभाते हैं—एक ओर ये बुजुर्ग महिलाओं को सक्रिय बनाए रखते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज के बाकी लोगों को अनुभव और सहारा प्रदान करते हैं।
समाज में बदलती सोच की बानगी
यह सेवा केवल बुजुर्गों के अनुभवों का लाभ उठाने की बात नहीं है, बल्कि यह एक नई सामाजिक सोच की मिसाल भी है—जहां अनुभव, भावना और संवाद को एक मूल्य के रूप में देखा जा रहा है।
भारत जैसे देशों के लिए सीख?
भारत जैसे देशों में भी जहां संयुक्त परिवारों का स्वरूप बदल रहा है और बुजुर्ग उपेक्षित महसूस करते हैं, इस तरह की सेवाएं एक सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं। न सिर्फ युवा पीढ़ी को अनुभवी मार्गदर्शन मिलेगा, बल्कि बुजुर्गों को भी सामाजिक स्वीकार्यता और उपयोगिता का एहसास होगा।