तराना के घनश्याम पाटीदार ने कराया पेटेंट के लिए आवेदन
BY
Yoganand Shrivastava
Ujjain news: जिले की तराना तहसील निवासी घनश्याम पाटीदार ने क्रिकेट जगत में एक अनोखा प्रयोग कर दिखाया है। उन्होंने पारंपरिक लकड़ी के बजाय बांस से क्रिकेट बैट तैयार किया है, जो भारतीय नवाचार और स्वदेशी संसाधनों की क्षमता को दर्शाता है।
पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा प्रयोग
घनश्याम पाटीदार ने बताया कि इस बैट को बनाने का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय संसाधनों का बेहतर उपयोग करना है। उनका कहना है कि बांस हल्का होने के साथ-साथ मजबूत और लंबे समय तक चलने वाला प्राकृतिक पदार्थ है, जो खेल उपकरणों के लिए उपयुक्त साबित हो सकता है।
नेट प्रैक्टिस में सफल परीक्षण
इस बांस से बने बैट का प्रयोग उनके पुत्र परीक्षित पाटीदार ने नेट प्रैक्टिस के दौरान किया। कई घंटों तक अभ्यास के बाद यह सामने आया कि बल्ला मजबूत है और शॉट लगाने में बेहतर प्रदर्शन करता है।
अतिरिक्त उछाल और ताकत
परीक्षित के अनुसार, बांस के बल्ले में गेंद को अतिरिक्त उछाल और गति मिलती है, जिससे बल्लेबाज के शॉट्स में अधिक ताकत नजर आती है। उनका कहना है कि इस बल्ले से बड़े शॉट खेलना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है।
किफायती और मरम्मत योग्य
इस बैट की खास बात यह है कि यह इंग्लिश और कश्मीर विलो के बल्लों की तुलना में अधिक किफायती, टिकाऊ और मरम्मत योग्य है। इससे सामान्य खिलाड़ियों और ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को भी गुणवत्तापूर्ण खेल उपकरण उपलब्ध हो सकता है।
पेटेंट के लिए किया आवेदन
घनश्याम पाटीदार ने अपने इस अनूठे आविष्कार के लिए पेटेंट आवेदन कर दिया है। उनका कहना है कि बैट के निर्माण में विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे संतुलन और मजबूती बनी रहती है।
भविष्य में बड़े स्तर पर उत्पादन की योजना
घनश्याम पाटीदार ने उम्मीद जताई है कि यदि उन्हें उचित तकनीकी मार्गदर्शन और संस्थागत सहयोग मिला, तो वे आने वाले समय में बांस से बने क्रिकेट बैट का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर सकते हैं।





