रिपोर्टर: उमेश डहरिया
मुख्य घटनाक्रम:
- स्थान: कोरबा जिला, SECL खदानों से स्थानीय उद्योगों तक
- दिनांक: 28 जुलाई 2025 से अनिश्चितकालीन हड़ताल प्रारंभ
- संघ: कोरबा ट्रक‑ट्रेलर मालिक सेवा समिति
- मांग: कोल ट्रांसपोर्ट किराए (भाड़ा दर) 25% तक बढ़ाने की मांग
कोरबा जिले में ट्रक-ट्रेलर मालिकों ने सीईओएल खदानों से स्थानीय उद्योगों तक कोयला ढुलाई के भाड़ा दरों में कटौती के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इसके तहत उन्होंने जिला कलेक्टर को पत्र भेजकर अपनी आर्थिक स्थिति एवं किराया समस्या स्पष्ट की है।
मांगों का आधार:
- समूह का कहना है कि वर्ष 2023 से स्थानीय उद्योगों की ओर से भाड़ा दरों में कटौती की गई है, जिससे उन्हें भारी आर्थिक हानि हो रही है। उस अवधि में टायर, पार्ट्स और डीजल जैसे संचालन खर्च में लगभग 15–25% तक वृद्धि हुई है, जबकि भाड़ा दरें घट गई हैं। ऐसे में व्यवसाय अनिवार्य रूप से घाटे में जा रहा है।
वर्तमान चुनौती:
- वाहन मालिकों के अनुसार:
- डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।
- ड्राइवरों का वेतन भी उच्च स्तर पर पहुंच चुका है।
- इन सभी वजहों से उनकी भारी लागत बढ़ी है।
- दूसरी ओर भाड़ा दरों में कटौती ने हालत और बिगाड़ दी है।
संघ की मांग है कि जिला कलेक्टर इस मामले में स्थानीय उद्योगों से बातचीत कर किराया दरों का पुनर्मूल्यांकन कराएं ताकि मालिकों को न्यायपूर्ण आय मिल सके।
व्यापक संदर्भ:
- कोरबा एक प्रमुख कोयला उत्पादन केंद्र है, जहाँ कोयला खदानों और परिवहन व्यावसाय का प्रधान स्रोत है। यहाँ का आर्थिक ढाँचा कोयला पर निर्भर है—GDP का 60% और रोजगार का एक‑पाँचवां हिस्सा कोयला-औद्योगिक क्षेत्र से आता है।
- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहले ही SECL और NTPC पर कोयला परिवहन व प्रदूषण को लेकर सख्त निर्देश जारी कर चुका है। यदि निर्माण और ट्रांसपोर्ट मामलों में सुधार नहीं किया गया, तो अदालत सीधे हस्तक्षेप कर सकती है।
संघर्ष की गूँज:
- हाल ही में हुए कोरबा के श्रमिक संगठनों की प्रदेशव्यापी हड़ताल से भी यह साबित हुआ कि श्रम, परिवहन और श्रमिक कानूनों में बदलाव के खिलाफ कोरबा स्तर पर सामाजिक चेतना बढ़ी है। इस हड़ताल का असर खदानों के उत्पादन पर साफ दिख रहा है।