थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद एक बार फिर उग्र रूप ले चुका है। लगातार दूसरे दिन दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोलीबारी हुई है, जिससे हालात गंभीर हो गए हैं।
शुक्रवार सुबह कंबोडियाई सेना ने थाईलैंड के सैन्य ठिकानों पर हमला किया। जवाबी कार्रवाई में थाईलैंड ने भी भारी गोलीबारी की। इस संघर्ष में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 1 सैनिक और 15 आम नागरिक शामिल हैं। 46 लोग घायल हुए हैं और 1 लाख से ज्यादा लोगों को बॉर्डर क्षेत्र से हटाया गया है।
कंबोडिया ने क्यों किया हमला?
विवाद की जड़: 900 साल पुराना शिव मंदिर
- विवादित शिव मंदिर: प्रासात ता मुएन थोम
- थाई सेना का आरोप: कंबोडियाई ड्रोन थाई सैन्य ठिकानों के ऊपर उड़ाए गए
- कूटनीतिक प्रयास विफल होने के बाद सुबह 8:20 बजे फायरिंग शुरू हुई
दोनों देशों की ओर से बड़े हमले
- कंबोडिया ने BM-21 रॉकेट लॉन्चर से जवाबी हमला किया
- थाईलैंड ने हवाई हमले किए
- सुरिन प्रांत में एक 8 वर्षीय बच्चे की मौत
- सिसाकेट में पेट्रोल पंप के पास विस्फोट और आगजनी
सीमा विवाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
118 साल पुराना विवाद, केंद्र में है प्रीह विहियर मंदिर
- 1907 में सीमा निर्धारण: फ्रांसीसी शासनकाल में 817 किमी लंबी सीमा रेखा खींची गई
- थाईलैंड का विरोध: मंदिर कंबोडिया में दिखाया गया था
- 1962 में अंतरराष्ट्रीय अदालत का फैसला: मंदिर कंबोडिया का
- 2011 में तनाव चरम पर: हजारों लोग हुए थे विस्थापित
- 2013 में दोबारा पुष्टि: मंदिर कंबोडिया में लेकिन भूमि विवाद जारी
संघर्ष फिर क्यों भड़का?
यूनेस्को हेरिटेज टैग ने बढ़ाया विवाद
- 2008 में कंबोडिया ने मंदिर को यूनेस्को हेरिटेज साइट में शामिल कराया
- इसके बाद दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आईं
- 28 मई 2025: एमराल्ड ट्रायंगल में झड़प, एक कंबोडियाई सैनिक की मौत
- यह जगह तीन देशों—थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस—की सीमाओं का संगम है
राजनयिक तनाव और पाबंदियां
- कंबोडिया: सीमा पर सैनिक बढ़ाए, थाई टीवी-फिल्मों और उत्पादों पर बैन
- थाईलैंड: बिजली-इंटरनेट सेवा रोकने की चेतावनी, कंबोडिया जाने वाले मजदूरों को रोका
- अंतरराष्ट्रीय अदालत की धमकी: कंबोडिया ने मामला उठाने की बात की, थाईलैंड ने ठुकराया
क्या होगा आगे?
भले ही थाईलैंड और कंबोडिया को अच्छे पड़ोसी कहा जाता रहा हो, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इन रिश्तों में गहरी दरार डाल दी है। सीमा विवाद, धार्मिक स्थल, और भू-राजनीतिक रणनीति के चलते यह संघर्ष और उग्र हो सकता है।
थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष महज सीमा रेखा या मंदिर का मामला नहीं है, बल्कि यह एक जटिल राजनीतिक और ऐतिहासिक टकराव है जो समय-समय पर उभरता रहता है। अगर इसे जल्द शांत नहीं किया गया, तो इसके दुष्परिणाम पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में महसूस किए जा सकते हैं।