BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जब एक्सिओम स्पेस के Ax-4 मिशन पर अंतरिक्ष की यात्रा पर निकलेंगे, तो उनके साथ एक बेहद खास जीव भी सफर पर होगा — टार्डिग्रेड्स, जिन्हें ‘वॉटर बियर’ के नाम से भी जाना जाता है। इन छोटे से दिखने वाले जीवों की ताकत इतनी अधिक है कि ये अंतरिक्ष की विषम परिस्थितियों में भी ज़िंदा रह सकते हैं।
टार्डिग्रेड्स क्या हैं?
टार्डिग्रेड्स सूक्ष्म आकार के जलीय जीव होते हैं, जिनके शरीर पर 8 पैर होते हैं। इन्हें सामान्य आंखों से देख पाना मुश्किल होता है, लेकिन ये प्रकृति के सबसे मजबूत जीवों में गिने जाते हैं। इनकी खोज 1773 में जर्मन वैज्ञानिक जोहान ऑगस्ट एफ्रैम गोएज ने की थी। अब तक वैज्ञानिक लगभग 1,300 प्रजातियों की पहचान कर चुके हैं।
अंतरिक्ष में क्यों ले जाए जा रहे हैं टार्डिग्रेड्स?
शुभांशु शुक्ला अपने स्पेस मिशन के दौरान टार्डिग्रेड्स पर कई प्रयोग करेंगे। इन जीवों को उनके असाधारण जीवित रहने की क्षमता के कारण अंतरिक्ष मिशनों में शामिल किया जाता है। यह परीक्षण यह समझने में मदद करते हैं कि अत्यधिक तापमान, विकिरण और निर्वात जैसी चरम परिस्थितियों में जीवन कैसे बचा रह सकता है।
अद्भुत सहनशक्ति वाले जीव
टार्डिग्रेड्स उबलते पानी से भी ज्यादा तापमान में जीवित रह सकते हैं। वहीं, वे शून्य तापमान, खतरनाक विकिरण और पानी की कमी जैसी स्थितियों को भी झेल सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह धरती के कुछ ऐसे जीवों में से एक हैं जो अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियों में भी ज़िंदा रह सकते हैं।
‘सुपर-हाइबरनेशन’ की क्षमता
नॉर्वे के ओस्लो यूनिवर्सिटी के नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम के वैज्ञानिक जेम्स फ्लेमिंग के अनुसार, टार्डिग्रेड की सक्रिय आयु कुछ हफ्तों तक ही होती है। लेकिन अगर इसे प्रतिकूल माहौल का सामना करना पड़े, तो यह ‘तुन स्टेट’ में चला जाता है — यानी पूरी तरह निष्क्रिय लेकिन जीवित अवस्था में। इस स्थिति में यह 100 साल तक भी जीवित रह सकता है।
पहले भी हो चुके हैं अंतरिक्ष परीक्षण
साल 2007 में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने एक मिशन के तहत करीब 3,000 टार्डिग्रेड्स को रूसी कैप्सूल से अंतरिक्ष में भेजा था। उन्हें लगभग 10 दिनों तक अंतरिक्ष में रखा गया, और वापसी के बाद देखा गया कि उनमें से दो-तिहाई जीवित लौटे और सफलतापूर्वक प्रजनन भी किया।