भारतीय सशस्त्र बलों ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर पर एक प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की। इस ब्रीफिंग का नेतृत्व भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने किया।
विशेष रूप से, कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 में अपने एक ऐतिहासिक फैसले में विस्तार से उजागर किया था। इस फैसले में महिला अधिकारियों को सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन प्रदान करने का आदेश दिया गया था। यह महत्वपूर्ण निर्णय जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस अजय रस्तोगी द्वारा लिखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और कर्नल सोफिया की उपलब्धियां
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय सेना की महिला अधिकारियों ने देश के लिए गौरवपूर्ण योगदान दिया है। इन योगदानों को सुनवाई के दौरान दर्ज किया गया था। फैसले में कई महिला अधिकारियों की व्यक्तिगत उपलब्धियों को रेखांकित किया गया, जिनमें कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम सबसे ऊपर था।

कर्नल सोफिया कुरैशी पहली महिला थीं जिन्होंने भारत में आयोजित सबसे बड़े बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारतीय सेना के दस्ते का नेतृत्व किया। इसके अलावा, उन्होंने 2006 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में कांगो में सेवा दी, जहां उन्होंने युद्धविराम की निगरानी और मानवीय गतिविधियों में सहायता जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए।
“लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी (आर्मी सिग्नल कोर) पहली महिला हैं जिन्होंने ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारतीय सेना के दस्ते का नेतृत्व किया। उन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सेवा दी, जहां उन्होंने संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में शांति स्थापना में योगदान दिया।” – सुप्रीम कोर्ट
महिला सशक्तिकरण का प्रतीक
कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियां न केवल भारतीय सेना में उनके व्यक्तिगत कौशल को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी साबित करती हैं कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के समान योगदान दे सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारतीय सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस फैसले ने न केवल महिला अधिकारियों के लिए नए अवसर खोले, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि उनकी सेवाओं को उचित मान्यता मिले। कर्नल सोफिया जैसे उदाहरणों ने इस बदलाव को और मजबूती प्रदान की।