विपक्ष ने उठाए कई सवाल
छत्तीसगढ़ में सुशासन का तिहार एक बार फिर सियासी विवाद का कारण बन गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने आम जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए इस पहल को शुरू किया है, लेकिन अब इसके इर्द-गिर्द राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है।
सुशासन तिहार का उद्देश्य प्रदेश भर में जनता की समस्याओं का समाधान करना है। इस कार्यक्रम के तहत सभी जिला कलेक्टरों द्वारा सुशासन तिहार का आयोजन किया जा रहा है, जहां लोग अपनी समस्याएं सीधे प्रशासन से साझा कर रहे हैं और उनका समाधान भी मिल रहा है। हालांकि, इस पहल को लेकर सियासत भी गरमाई हुई है।
विपक्षी दल कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अभियान पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सिर्फ “हाथी के दांत” दिखाने का मामला है। बघेल ने आरोप लगाया कि बिजली कटौती, पेयजल संकट, और किसानों की फसल बर्बादी के बावजूद सरकार जनता की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में नकली शराब का कारोबार फल-फूल रहा है, और सट्टा जुआ भी युवाओं को बर्बाद कर रहा है, जो “सुशासन” का प्रतीक नहीं हो सकता।
भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “विष्णु देव साय के विभाग में बिजली की समस्या गंभीर है। शराब की दुकानें बढ़ाई गई हैं और सट्टे की समस्या भी बढ़ी है। ये कौन सा सुशासन है?”
वहीं, इस बयान पर पलटवार करते हुए उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि सुशासन तिहार एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य जनता की समस्याओं का समाधान करना है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस को जनता की भलाई से कोई लेना-देना नहीं है और विपक्ष को इस प्रकार के कार्यक्रमों से पेट में दर्द होता है।
अरुण साव, उप मुख्यमंत्री ने कहा, “सुशासन तिहार के तहत जनता की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। कांग्रेस और उनके नेता चाहते हैं कि जनता का अपमान होता रहे, लेकिन हम विष्णु देव साय के नेतृत्व में जनहित में काम करते रहेंगे।”
इसके बाद, राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है, और सुशासन तिहार को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।
चाहे जो भी हो, राज्य सरकार ने इस अभियान को लेकर कई योजनाओं की शुरुआत की है, और मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों और अधिकारियों तक सभी इस पहल को सफल बनाने के लिए जुटे हैं।
अब देखना यह होगा कि जनता की समस्याओं के समाधान को लेकर सरकार की यह योजना कितनी प्रभावी साबित होती है, और विपक्ष के आरोपों का क्या असर पड़ता है।