हरियाणा से भाजपा के राज्यसभा सांसद राम चंदर जांगड़ा एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर ऐसी टिप्पणी कर दी, जिससे राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
📍क्या कहा सांसद जांगड़ा ने?
शनिवार को भिवानी में अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी स्मृति अभियान के दौरान आयोजित एक सम्मान समारोह में बोलते हुए जांगड़ा ने कहा:
“पहलगाम आतंकी हमले में जिन महिलाओं ने अपने पति खो दिए, उनमें साहस और लड़ने की भावना की कमी थी। अगर वे हथियार छीनने की कोशिश करतीं, तो शायद मरने वालों की संख्या 26 नहीं, सिर्फ 4 या 5 होती।”
उन्होंने यह भी जोड़ा:
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अग्निपथ योजना इसीलिए शुरू की थी ताकि देश का युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर ऐसे हालातों का सामना कर सके। अगर वे पर्यटक ऐसे किसी प्रशिक्षण से गुजरे होते, तो शायद नतीजा कुछ और होता।”
🔥 क्यों उठ रहा है विवाद?
राम चंदर जांगड़ा का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब पूरा देश पहलगाम हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों के प्रति संवेदना व्यक्त कर रहा है। उनके बयान को पीड़ित परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा बताया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं
- कई यूजर्स ने कहा कि “सोचिए, एक महिला पर उस समय क्या बीती होगी, और नेता साहब कह रहे हैं कि उन्हें लड़ना चाहिए था।”
- कुछ लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि “क्या नेताजी खुद कभी आतंकियों से भिड़े हैं?”
📜 सांसद जांगड़ा का विवादों से पुराना नाता
यह पहली बार नहीं है जब जांगड़ा अपने बयानों को लेकर विवादों में आए हैं:
- दिसंबर 2024 में उन्होंने किसानों के आंदोलन के दौरान कथित रूप से 700 लड़कियों के गायब होने की बात कही थी, जिस पर काफी हंगामा हुआ था। अगले ही दिन उन्होंने माफ़ी मांगते हुए इसे “अफवाह” बताया।
- 2014 विधानसभा चुनाव में वे गोहाना सीट से चुनाव हार चुके हैं। 2020 में वे राज्यसभा के लिए चुने गए।
📰 लोगों के मन में उठ रहे सवाल
- क्या नेताओं को संवेदनशील मामलों में ऐसा गैर-जिम्मेदाराना बयान देना चाहिए?
- क्या आम नागरिकों से आतंकियों से भिड़ने की अपेक्षा करना वाजिब है?
- क्या ऐसी टिप्पणियां सुरक्षा बलों की भूमिका को भी अपमानित नहीं करतीं?
📌 पहलगाम हमला: एक झलक
- हमला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में पर्यटकों पर हुआ था।
- इसमें 26 लोगों की जान गई, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
- हमले की जिम्मेदारी एक आतंकी संगठन ने ली थी।
🔍 निष्कर्ष: क्या राजनेताओं को करनी चाहिए ज़िम्मेदार बयानबाज़ी?
राजनीति में बयानबाज़ी आम है, लेकिन जब बात आतंकी हमले के पीड़ितों की हो, तब शब्दों का चुनाव बेहद संवेदनशील और सोच-समझकर किया जाना चाहिए। राम चंदर जांगड़ा का यह बयान न सिर्फ पीड़ितों के दर्द को नज़रअंदाज़ करता है, बल्कि इससे सुरक्षा नीति और नागरिकों की मनोस्थिति पर भी गलत प्रभाव पड़ सकता है।
🧠 क्या सोचते हैं आप?
क्या आपको लगता है कि आम नागरिकों को आतंकियों से भिड़ने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए? या फिर नेताओं को पहले अपनी ज़ुबान पर लगाम लगानी चाहिए?