म.प्र.-हरियाणा की तरह क्या दिल्ली में भी सबको चौंकाएगा बीजेपी ?
2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की निर्णायक जीत के साथ, दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। बीजेपी ने 70 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) को केवल 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा। यह बीजेपी के लिए 26 साल बाद दिल्ली में सत्ता में वापसी का क्षण है, लेकिन नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति पर अब भी सवाल बने हुए हैं।
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मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुख दावेदार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस-अमेरिका दौरे से लौटने के बाद नए मुख्यमंत्री की घोषणा की संभावना है। बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता इस पद के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की सूची:
नेता का नाम | मुख्य कारण |
---|---|
परवेश वर्मा | दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को हराकर एक बड़ी जीत हासिल की, दो बार के सांसद, RSS से जुड़ा परिवार। |
आशीष सूद | दक्षिण दिल्ली नगर निगम के पूर्व प्रभारी, जनकपुरी विधानसभा में बड़ी जीत, प्रशासनिक अनुभव। |
विजेंद्र गुप्ता | दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष, रोहिणी विधानसभा में तीसरी बार जीत, विपक्ष के नेता के रूप में कार्य। |
सतीश उपाध्याय | RSS से जुड़ा, नई दिल्ली नगर निगम के पूर्व उपाध्यक्ष, मध्य प्रदेश इकाई के प्रभारी। |
शिखा रॉय | महिला उम्मीदवार, दक्षिण दिल्ली में AAP के सौरभ भारद्वाज को हराया, संगठनात्मक कौशल। |
रेखा गुप्ता | शालीमार बाग में 29,000 से अधिक वोटों से जीत, महिला मतदाताओं में मजबूत पकड़। |
मनोज तिवारी | उत्तर-पूर्व दिल्ली सांसद, पुरवांचल समुदाय में प्रभाव, दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष। |
हर्ष मल्होत्रा | पूर्वी दिल्ली सांसद, केंद्रीय मंत्री, व्यापक प्रशासनिक अनुभव। |
मुख्यमंत्री पद के दावेदार: विवरण
1. परवेश वर्मा – प्रमुख दावेदार
परवेश वर्मा, जो कि पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, इस समय सबसे बड़े दावेदार के रूप में उभरकर सामने आए हैं। उन्होंने नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में अरविंद केजरीवाल को हराकर एक बड़ा उलटफेर किया। उनकी राजनीतिक छवि, दो बार के सांसद और RSS से जुड़ी पृष्ठभूमि उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है।
2. आशीष सूद – प्रशासनिक अनुभव वाले नेता
आशीष सूद, जो पूर्व में दक्षिण दिल्ली नगर निगम के प्रभारी रहे हैं, जनकपुरी विधानसभा से 68,986 वोटों के साथ जीत हासिल कर चुके हैं। उनकी प्रशासनिक क्षमता और पार्टी में संगठनात्मक कौशल उन्हें एक प्रमुख दावेदार बनाते हैं।
3. विजेंद्र गुप्ता – अनुभवी नेता
विजेंद्र गुप्ता, जो तीन बार रोहिणी विधानसभा से जीत चुके हैं, दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में एक मजबूत पहचान रखते हैं। वह दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं और उनकी राजनीति की गहरी समझ उन्हें इस पद के लिए एक अच्छा उम्मीदवार बनाती है।
4. सतीश उपाध्याय – RSS के करीबी नेता
सतीश उपाध्याय, जो एक वरिष्ठ बीजेपी नेता और RSS से जुड़े हैं, मलवीय नगर से जीतकर आए हैं। उनकी प्रशासनिक क्षमता और RSS से मजबूत संबंध उन्हें इस पद के लिए एक महत्वपूर्ण उम्मीदवार बनाते हैं।
5. शिखा रॉय – महिला उम्मीदवार
अगर बीजेपी महिला उम्मीदवार को प्राथमिकता देती है, तो शिखा रॉय एक प्रमुख नाम बन सकती हैं। उन्होंने दक्षिण दिल्ली में AAP के सौरभ भारद्वाज को हराया और संगठनात्मक दृष्टिकोण से उन्हें बड़ी सफलता मिली।
6. रेखा गुप्ता – महिला उम्मीदवार
रेखा गुप्ता, जो शालीमार बाग से 29,000 से अधिक वोटों से जीतकर आई हैं, महिला मतदाताओं में अपनी मजबूत पकड़ के लिए जानी जाती हैं। अगर बीजेपी महिला प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता देती है, तो वह एक मजबूत दावेदार हो सकती हैं।
7. मनोज तिवारी – पुरवांचल प्रभाव
मनोज तिवारी, जो उत्तर-पूर्व दिल्ली से सांसद हैं, पुरवांचल समुदाय में प्रभावी नेता माने जाते हैं। दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका और वोट बैंक पर उनका प्रभाव उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।
8. हर्ष मल्होत्रा – एक अंधेरे घोड़े के रूप में
पूर्वी दिल्ली के सांसद और केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा एक अप्रत्याशित उम्मीदवार के रूप में सामने आ सकते हैं। उनकी प्रशासनिक अनुभव और केंद्रीय नेतृत्व से उनके मजबूत संबंध उन्हें एक प्रभावी उम्मीदवार बना सकते हैं।
बीजेपी का मुख्यमंत्री चयन: केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका
अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व किसे मुख्यमंत्री का पद सौंपेगी। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने पुष्टि की है कि अंतिम निर्णय पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लिया जाएगा। बीजेपी की राजनीतिक रणनीति के तहत, निर्णय अप्रत्याशित हो सकता है, जैसा कि राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में देखा गया है।
दिल्ली में बीजेपी के नेतृत्व का अगला कदम पार्टी की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, और इसका असर राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर स्पष्ट रूप से पड़ेगा।
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