नवरोज़ एक ऐसा त्योहार है जो न सिर्फ नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि यह अपने साथ कई पुरानी परंपराओं और रीति-रिवाजों को भी लेकर आता है। यह त्योहार खुशियों, उत्साह और नई उम्मीदों से भरा होता है। आइए, जानते हैं नवरोज़ से जुड़ी कुछ खास परंपराओं और उनके महत्व के बारे में।

हफ्त सिन: सात ‘स’ वाली वस्तुएं
नवरोज़ की सबसे मशहूर परंपरा है हफ्त सिन। इसमें सात चीजें रखी जाती हैं, जो ‘स’ अक्षर से शुरू होती हैं। ये चीजें न सिर्फ सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक हैं, बल्कि इनका एक गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है।
- सब्ज़ा (हरी घास): यह प्रकृति और नई जिंदगी का प्रतीक है।
- सामानू (मीठा पुडिंग): यह मिठास और खुशहाली को दर्शाता है।
- सेंजेद (सूखे मेवे): यह स्वास्थ्य और ताकत का प्रतीक है।
- सीर (लहसुन): यह बुरी नजर और नकारात्मकता से बचाव का संकेत देता है।
- सोमक (सुमाक बेरी): यह सूरज की रोशनी और नई ऊर्जा का प्रतीक है।
- सिरका (सिरका): यह धैर्य और संयम को दर्शाता है।
- सीब (सेब): यह सौंदर्य और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है।
हफ्त सिन की मेज को सजाने का मतलब है कि नए साल में इन सभी अच्छी चीजों का स्वागत किया जाए।
नए कपड़े और घर की सजावट
नवरोज़ के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और अपने घरों को सजाते हैं। नए कपड़े नई शुरुआत और ताजगी का प्रतीक होते हैं। वहीं, घर को फूलों, रंगोली और दीयों से सजाने का मतलब है कि नए साल में खुशियों और रोशनी का स्वागत किया जाए।
दोस्तों और परिवार के साथ मेलजोल
नवरोज़ के दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ इकट्ठा होते हैं। मिलनसारिता और प्यार इस त्योहार की खासियत है। लोग एक-दूसरे को गले लगाते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और नए साल की शुभकामनाएँ देते हैं। यह परंपरा समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देती है।
दान और खैरात
नवरोज़ के दिन दान करने का भी खास महत्व है। लोग गरीबों और जरूरतमंदों को खाना, कपड़े और पैसे दान करते हैं। यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि खुशियाँ बाँटने से ही बढ़ती हैं।
प्रार्थना और आशीर्वाद
नवरोज़ के दिन लोग प्रार्थना करते हैं और ईश्वर से नए साल में खुशहाली और सफलता की कामना करते हैं। यह परंपरा हमें आत्मचिंतन और आध्यात्मिकता की ओर ले जाती है।
नवरोज़ की दावत
नवरोज़ के दिन खास तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। सेबजी, सब्ज़ी पुलाव, मिठाइयाँ और अन्य पारंपरिक व्यंजनों से मेहमानों का स्वागत किया जाता है। यह दावत न सिर्फ स्वाद का जश्न है, बल्कि यह समृद्धि और खुशहाली का भी प्रतीक है।
नवरोज़ की संध्या और आतिशबाजी
नवरोज़ की शाम को लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर आतिशबाजी का आनंद लेते हैं। यह परंपरा नए साल के आगमन का जश्न मनाने का एक तरीका है।
निष्कर्ष
नवरोज़ की परंपराएं और रीति-रिवाज न सिर्फ इस त्योहार को खास बनाते हैं, बल्कि ये हमें जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों की याद भी दिलाते हैं। प्रेम, एकता, दान और आशा ये सभी चीजें नवरोज़ के जरिए हमारे जीवन में आती हैं। इसलिए, नवरोज़ न सिर्फ एक त्योहार है, बल्कि यह जीवन का एक तरीका है।
नवरोज़ मुबारक!
उत्तर प्रदेश में नई रेलवे लाइन: सात गांवों की जमीन होगी अधिग्रहित, किसानों को मिलेगा मुआवजा