BY: Yoganand Shrivastva
शिलांग, मेघालय सरकार राज्य में HIV/AIDS के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी में है। राज्य सरकार शादी से पहले HIV/AIDS टेस्ट को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। स्वास्थ्य मंत्री अम्पारीन लिंगदोह ने शुक्रवार को जानकारी दी कि राज्य में इस गंभीर बीमारी के बढ़ते खतरे को नियंत्रित करने के लिए जल्द ही एक व्यापक नीति लाई जा सकती है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “अगर गोवा जैसे राज्य में यह नियम लागू हो सकता है, तो मेघालय में भी इसे अपनाने में कोई हर्ज नहीं है। इस पहल से समाज को व्यापक रूप से लाभ हो सकता है।”
HIV/AIDS के आंकड़े चिंताजनक
रिपोर्ट के मुताबिक, मेघालय देश में HIV/AIDS के मामलों के लिहाज से छठे स्थान पर है, जबकि पूर्वोत्तर क्षेत्र में यह खतरा सबसे अधिक है। सिर्फ ईस्ट खासी हिल्स जिले में ही 3,432 HIV पॉजिटिव मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन इनमें से केवल 1,581 मरीज ही उपचाररत हैं। इसके अलावा, 159 लोग समय पर इलाज न मिलने के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं।
स्वास्थ्य विभाग को कैबिनेट नोट तैयार करने का आदेश
शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री प्रेस्टन टायन्सॉन्ग की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें सामाजिक कल्याण मंत्री पॉल लिंगदोह और ईस्ट खासी हिल्स जिले के 8 विधायक भी शामिल हुए। बैठक में HIV/AIDS की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक समग्र नीति पर चर्चा की गई। स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह इस नीति का मसौदा तैयार कर कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत करे।
बीमारी के फैलाव का प्रमुख कारण यौन संबंध
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य में HIV संक्रमण का प्रमुख कारण असुरक्षित यौन संबंध हैं। हालांकि इंजेक्शन के माध्यम से फैलने वाले मामलों की संख्या कम है, लेकिन ड्रग्स का उपयोग करने वाले व्यक्तियों की पहचान करना बड़ी चुनौती बन चुका है। मंत्री ने कहा कि जागरूकता अब कोई समस्या नहीं है, लेकिन स्क्रीनिंग और इलाज की पहुंच को बेहतर बनाना जरूरी है।
अन्य जिलों में भी होंगे परामर्श
उन्होंने बताया कि गारो हिल्स और जयंतिया हिल्स जैसे जिलों में भी क्षेत्रीय बैठकों का आयोजन होगा, ताकि हर इलाके की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए प्रभावी रणनीति बनाई जा सके। जयंतिया हिल्स में HIV मामलों की संख्या सबसे अधिक है, जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय है।
मेघालय सरकार द्वारा प्रस्तावित यह कदम न केवल HIV/AIDS की रोकथाम की दिशा में महत्वपूर्ण होगा, बल्कि इससे समाज में जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ेगी। यदि यह नीति लागू होती है, तो यह देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है।