एक भावनात्मक और शांतिपूर्ण प्रदर्शन की तस्वीर उस समय सामने आई जब मैहर के सहिलरा गांव के दर्जनों आदिवासी सिर पर मिट्टी से भरे कलश लेकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे। यह विरोध एक पुश्तैनी जमीन से बेदखली के खिलाफ था, जिसमें आदिवासियों ने अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया।
प्रदर्शन की खास बात: कलश में माटी, दिल में पीड़ा
- आदिवासियों ने मिट्टी से भरे कलश को सिर पर रखकर शांतिपूर्वक विरोध जताया।
- कलेक्ट्रेट परिसर में कलश रखकर धरना दिया गया।
- इसके बाद उन्होंने अपर कलेक्टर शैलेंद्र सिंह को ज्ञापन सौंपा और न्याय की मांग की।
क्या है मामला?
सहिलरा गांव के आदिवासियों का कहना है कि उन्हें उनकी पुश्तैनी जमीन से हटाया जा रहा है। प्रशासन के अनुसार, इस जमीन पर एक सरकारी कॉलोनी प्रोजेक्ट बनाया जाएगा।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख बातें:
- “हम भारत के मूल निवासी हैं। सदियों से हमने जल, जंगल और जमीन के साथ तालमेल बैठाकर जीवन जिया है। हमें उजाड़ना अमानवीय है।”
- उन्होंने मांग की कि अगर कोई प्रोजेक्ट बनाना है तो उसे दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाए ताकि उनकी जमीन सुरक्षित रह सके।
‘बंजर जमीन को उपजाऊ बनाया, अब उजाड़ा जा रहा है’
एक स्थानीय नेता ने बताया कि इन आदिवासी परिवारों ने बंजर भूमि को मेहनत से उपजाऊ बनाकर खेती लायक बनाया है। यही जमीन उनकी आजीविका का आधार है।
- यहां इनके पास वैध दस्तावेज भी हैं, जो उनके अधिकार को प्रमाणित करते हैं।
- बच्चों की परवरिश, भोजन और जीवन की बुनियादी जरूरतें इसी जमीन पर आधारित हैं।
- अब उन्हें बेदखल कर एक कॉलोनी प्रोजेक्ट बनाने की योजना बताई जा रही है।
राजस्व विभाग की सक्रियता से चिंता में आदिवासी
आदिवासी समुदाय के अनुसार, रोजाना राजस्व अधिकारी भूमि की माप कर रहे हैं और उन्हें सूचित किया गया है कि यह जमीन सरकारी प्रोजेक्ट के तहत ली जाएगी। इससे समुदाय में गहरी चिंता और असुरक्षा का माहौल है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
अपर कलेक्टर शैलेंद्र सिंह ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा:
“यह मामला हमारे संज्ञान में आया है और जो भी उचित समाधान होगा, वह किया जाएगा।”
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क्या सुनी जाएगी आदिवासियों की आवाज?
यह प्रदर्शन सिर्फ एक जमीन को बचाने की लड़ाई नहीं, बल्कि अपनी पहचान, संस्कृति और जीवनशैली की रक्षा का प्रतीक है। आदिवासी समुदाय की मांग है कि उन्हें उनकी जमीन से न हटाया जाए और यदि कोई सरकारी योजना बनती है तो उसका स्थान बदला जाए।
आशा है कि प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से लेकर न्यायसंगत समाधान निकालेगा।