ग्वालियर-चंबल में माधव नेशनल पार्क को मिलेगा टाइगर रिजर्व का दर्जा
मध्य प्रदेश में नया टाइगर रिजर्व जल्द ही बनने जा रहा है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने वाला है। यह मध्य प्रदेश का नौवां टाइगर रिजर्व होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि प्रदेश में एक नया टाइगर अभयारण्य बनने जा रहा है। माधव टाइगर रिजर्व के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं।

मुख्यमंत्री यादव ने यह भी बताया कि कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए पांच चीतों में से तीन का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ है। उन्होंने कहा कि पहले छोड़े गए चीते न केवल शिकार कर रहे हैं, बल्कि जंगल में स्वतंत्र रूप से घूम रहे हैं। इससे प्रकृति और पर्यावरण का संतुलन बना हुआ है।
मध्यप्रदेश, वन्यजीव संरक्षण में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) February 6, 2025
माधव टाइगर अभयारण्य जल्द ही राज्य का 9वां टाइगर रिज़र्व बनेगा, जिससे चंबल अंचल में वन्यजीवों की समृद्धि बढ़ेगी।
कल कूनो में 5 और चीते छोड़े गए हैं। यह गर्व की बात है कि पहले छोड़े गए चीते न केवल शिकार कर रहे हैं,… pic.twitter.com/axxyfSYUwY
पिछले साल, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की तकनीकी समिति ने शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान को मध्य प्रदेश के नौवें टाइगर रिजर्व के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव मंजूर किया था। समिति ने प्रस्तावित टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र को 375 वर्ग किमी, बफर क्षेत्र को 1276 वर्ग किमी और कुल क्षेत्रफल को 1751 वर्ग किमी निर्धारित किया है। इसके अलावा, समिति ने इस उद्यान में एक नर और एक मादा बाघ को छोड़ने की भी अनुमति दी है।

मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व में बाघों की चौथी गणना शुरू हो चुकी है। इस गणना के आंकड़े भारत सरकार को भेजे जाएंगे। इन आंकड़ों के आधार पर वर्ष 2026 के लिए बाघ गणना के आधिकारिक आंकड़े तैयार किए जाएंगे। बाघ गणना के आंकड़े जारी होने से पहले एक बार फिर से बाघों की गिनती की जाएगी। इस दौरान वन मंडलों में मौजूद बाघों की भी गणना की जाएगी। बाघ गणना 2026 के आंकड़े जुलाई 2027 में जारी किए जाएंगे।
देशभर के वनक्षेत्र और टाइगर रिजर्व में मौजूद बाघों के आंकड़े हर चार साल में केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी किए जाते हैं। पिछली बाघ गणना में मध्य प्रदेश में देश के सबसे ज्यादा 785 बाघ पाए गए थे। बाघों को संरक्षित करने के लिए वर्ष 1973 में केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया था।
प्रदेश स्तर पर बाघों की गिनती हर साल टाइगर रिजर्व में की जाती है। इसी के तहत मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में बाघों की गिनती शुरू हो गई है। इन आंकड़ों को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। अनुमान है कि अगली बाघ गणना में मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या में और वृद्धि हो सकती है।
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