क्या 30 मौत के जिम्मेदारों पर होगा एक्शन ?
उत्तर प्रदेश: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ आस्था का महापर्व है, जहां करोड़ों श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर भारी भीड़ उमड़ी, जिसके दौरान भगदड़ मच गई। इस घटना में 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। महाकुंभ में भगदड़ की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है। 31 जनवरी को ये आयोग महाकुंभ पहुंचेगा और ये आयोग महीने भर के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। वहीं इस हादसे के बाद अब महाकुंभ में अनुभवी अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। यूपी सरकार ने IAS आशीष गोयल (Ashish Goel) और IAS भानुचंद्र गोस्वामी (Bhanuchandra Goswami) सहित अन्य अधिकारियों को तत्काल प्रयागराज पहुंचने के निर्देश दिए हैं।
न्यायिक आयोग क्या होता है ?
न्यायिक आयोग एक सरकारी निकाय होता है, जिसे सरकार किसी विशेष घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए गठित करती है। इसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश, प्रशासनिक अधिकारी (IAS) और पुलिस अधिकारी (IPS) शामिल होते हैं। आयोग का उद्देश्य घटना की विस्तृत जांच कर उसकी वास्तविकता उजागर करना और जिम्मेदार लोगों का पता लगाना होता है।
ऐसे काम करता है न्यायिक आयोग
- घटना की जांच: आयोग घटना की शुरुआत से लेकर अंत तक विस्तृत जांच करता है।
- गवाहों से पूछताछ: हादसे से जुड़े गवाहों को बुलाकर बयान दर्ज किए जाते हैं।
- सबूतों का संकलन: उपलब्ध सबूतों का विश्लेषण कर हादसे की सही वजह को उजागर किया जाता है।
- रिपोर्ट तैयार करना: जांच पूरी होने के बाद आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपता है, जिसमें हादसे की वजह, जिम्मेदार अधिकारी और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव दिए जाते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ में श्रद्धालुओं की व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए अनुभवी अधिकारियों को नियुक्त किया था।
इन अनुभवी अधिकारियों के हाथों में है महाकुंभ की व्यवस्था

- IAS विजय किरण आनंद – 2024 में प्रयागराज महाकुंभ के डीएम नियुक्त किए गए थे और इससे पहले 2017-2019 के कुंभ मेले में भी बड़ी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।


2. IPS वैभव कृष्ण – दिसंबर 2024 में प्रयागराज महाकुंभ के डीआईजी बनाए गए थे।
3. IPS राजेश द्विवेदी – 2024 में प्रयागराज के एसएसपी के रूप में नियुक्त थे और महाकुंभ की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
भगदड़ के लिए जिम्मेदार ठहराए जा सकते हैं ये अफसर
भगदड़ की प्राथमिक जांच में प्रशासनिक लापरवाही के संकेत मिले हैं। घटना के लिए निम्नलिखित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जा सकता हौ। ये अधिकारी न्यायिक जांच की जद में आ सकते हैं।
- IPS राजेश द्विवेदी (SSP, प्रयागराज) – मेला क्षेत्र में भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने में चूक मानी जा सकती है।
- IPS वैभव कृष्ण (DIG, प्रयागराज महाकुंभ) – सुरक्षा प्रबंधन और भीड़ नियंत्रण में असफलता मानी जा सकती है।
- IAS विजय किरण आनंद (DM, प्रयागराज) – संपूर्ण आयोजन की देखरेख में प्रशासनिक विफलता मानी जा सकती है।
भगदड़ के बाद ये अधिकारी महाकुंभ की व्यवस्था संभालने भेजे गए

भगदड़ की घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की व्यवस्था को सुधारने और नियंत्रण करने के लिए ‘जय-वीरू’ की जोड़ी यानि दो वरिष्ठ अधिकारियों को प्रयागराज भेजा है।
- IAS आशीष गोयल – 2019 के अर्धकुंभ में मंडलायुक्त रहे और अब विशेष सचिव के रूप में भेजे गए हैं।

2. IAS भानु चंद्र गोस्वामी – 2019 में प्रयागराज के डीएम रहे और अब विशेष सचिव स्तर के अधिकारी के रूप में तैनात किए गए हैं।
ये अधिकारी 12 फरवरी तक प्रयागराज में रुकेंगे और महाकुंभ की व्यवस्थाओं को और बेहतर सुदृड़ बनाने में सहयोग देंगे।
पीसीएस अफसर भी महाकुंभ में तैनात
विशेष सचिव स्तर के 5 अन्य अधिकारियों को भी प्रयागराज महाकुंभ में तैनात करने का फैसला लिया गया है। 3 PCS अधिकारियों की भी महाकुंभ में तैनाती की गई है। इनमें प्रफुल्ल त्रिपाठी, प्रतिपाल सिंह चौहान, आशुतोष दुबे शामिल हैं। इन सभी को 15 फरवरी तक के लिए महाकुंभ में रहना होगा।
सरकार के उठाए कदम
भगदड़ की घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ की सुरक्षा और प्रबंधन को और कड़ा करने के निर्देश दिए हैं। कुंभ क्षेत्र में वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है ताकि इस तरह की घटनाओं को दोबारा होने से रोका जा सके। सरकार द्वारा गठित न्यायिक आयोग जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, जिससे इस हादसे की सच्चाई सामने आएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें।
अब सवाल ये है कि क्या न्यायिक आयोग किस एंगल से जांच करता है। क्या शुरु से महाकुंभ की व्यवस्था संभाल रहे अधिकारी इस जांच की जद में आएंगे। हाईटैक सुरक्षा व्यवस्था के दावे किए जा रहे हैं, उस सिस्टम को देखने वाले अधिकारी इस जांच की जद में आएंगे। क्या 30 मौत के जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होगी या ये एक्शन भी पहले जैसे आयोगों के गठन की रस्मअदायगी भर बन कर रह जाएगा।
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